SC ने कहा, `पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं, जो आप आधी रात को बेडरूम से घसीटते हैं`
Journalist is not terrorist: झारखंड में रांची हाईकोर्ट द्वारा एक पत्रकार को मिले जमानत का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसपर फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने रंगदारी के एक मामले में झारखंड में पुलिस द्वारा एक स्थानीय पत्रकार के घर रात में पहुंचने और उन्हें गिरफ्तार करने से पहले बेडरूम से घसीटकर बाहर लाने की घटना की निंदा की है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई को राज्य की ज्यादती करार देते कहा कि ऐसा लगता है कि झारखंड में पूरी तरह अराजकता फैल गई है.
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार की अपील की खारिज
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पत्रकार को अंतरिम जमानत देने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया और कहा कि वह राज्य की अपील पर विचार नहीं करेगी. बेंच ने कहा, “हमने मामले के तथ्यों को देखा है. ये सभी राज्य की ज्यादती हैं और ऐसा लगता है कि झारखंड में पूरी तरह से अराजकता का माहौल पैदा हो गया है. हम हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं करेंगे.’’
हाईकोर्ट ने दी थी पत्रकार को जमानत
कोर्ट ने घटना पर कड़ी नाराजगी जताते हुए झारखंड के अतिरिक्त महाधिवक्ता अरुणाभ चौधरी से कहा, “आप आधी रात को एक पत्रकार का दरवाजा खटखटाते हैं और उसे उसके बेडरूम से बाहर निकालते हैं. यह बहुत ज्यादा हो गया. आप ऐसा एक ऐसे शख्स के साथ कर रहे हैं जो पत्रकार है, और पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं.“ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने सही तरह से एक विस्तृत आदेश के जरिए पत्रकार को अंतरिम जमानत दी, जिसमें किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. न्यायाधीशों ने मामले का निपटारा करते हुए चौधरी से कहा, ‘‘माफ करें, हम आपकी याचिका पर विचार नहीं करने जा रहे हैं. चूंकि यह एक अंतरिम आदेश है और मामला वहां लंबित है, आप जाकर हाईकोर्ट से बात करें.“
पत्रकार पर लगा है ये आरोप
महाधिवक्ता अरुणाभ चौधरी ने इल्जाम लगाया है कि पत्रकार अरूप चटर्जी ब्लैकमेल करने और जबरन वसूली जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. पीठ ने कहा कि पत्रकार भाग्यशाली हैं कि तीन दिन में बाहर आ गए, अन्यथा उनके जैसे कई लोगों को जमानत से पहले दो-तीन महीने जेल में बिताने पड़ते हैं. हाईकोर्ट द्वारा 19 जुलाई को चटर्जी को दी गई जमानत के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अरूप चटर्जी की पत्नी और चैनल की निदेशक बेबी चटर्जी ने हाईकोर्ट का रुख किया था और दावा किया था कि उनके पति को 16-17 जुलाई, 2022 की मध्यरात्रि को उनके रांची आवास से रात 12ः20 बजे गिरफ्तार किया गया जो दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है. चटर्जी को धनबाद पुलिस ने गोविंदपुर थाने में रंगदारी के इल्जाम में दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया था.
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