नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने ED की शक्तियों को बरकरार रखा है. कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जांच, तलाशी, गिरफ्तारी और संपत्तियों को अटैच करने जैसे प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों को बरकरार रखा है. विपक्षी पार्टियों ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती चुनाती दी थी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. कोर्ट ने अपराध की आय, तलाशी और जब्ती जैसे PMLA के कई प्रावधानों को बरकरार रखा. सु्प्रीम कोर्ट ने 242 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि "PMLA के तहत गिरफ्तारी का ED का अधिकार बरकरार होगा. गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है."


जस्टिस खान विलकर ने कहा कि "सवाल ये था कि कुछ संशोधन किए गए हैं, वो नहीं किए जा सकते थे. संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता था या नहीं, ये सवाल हमने 7 जजों के पीठ के लिए खुला छोड़ दिया है."


यह भी पढ़ें: मुसलमानों पर लगता है NSA-UAPA और पुलिस करती है कांवड़ियों की मालिश: बोले ओवैसी


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "ईडी अधिकारियों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को हिरासत में लेने के समय गिरफ्तारी के आधार का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है." सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी याचिकाओं को वापस हाईकोर्ट वापस भेज दिया है. 


सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक "ईडी अफसर पुलिस अधिकारी नहीं हैं. इसलिए PMLA के तहत एक अपराध में दोहरी सजा हो सकती है."


सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की दोहरी शर्तों के प्रावधानों को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "गिरफ्तारी के आधार के बारे में जानकारी देना ही प्रर्याप्त है. हालांकि, ट्रायल कोर्ट यह फैसला दे सकती है कि आरोपी को कौन से दस्तावेज देने हैं या नहीं."


इसी तरह की और खबरों को पढ़ने के लिए Zeesalaam.in पर विजिट करें.