SC Verdict on Kejriwal: उच्चतम न्यायालय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जरिए दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें उन्होंने अब खत्म कर दी गई आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जरिए उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने 17 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था.


केजरवील की याचिका पर फैसला आज


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से फाइलें जमा करने को कहा था और कहा था, "हम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद, उन्हें जमानत देने से इनकार करने के फैसले के बाद और केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले दर्ज किए गए गवाहों के बयान देखना चाहते हैं."


अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने शीर्ष अदालत को बताया कि हवाला लेनदेन के संबंध में और सबूत मिले हैं तथा व्हाट्सएप चैट का भी पता चला है. इस पर पीठ ने पूछा कि क्या इनका उल्लेख लिखित तौर पर दर्ज और दिल्ली के मुख्यमंत्री को दिए गए "गिरफ्तारी के आधार" में किया गया था. इसके जवाब में राजू ने कहा, "जांच एजेंसी को आरोपी के साथ सब कुछ साझा नहीं करना चाहिए." जिस पर पीठ ने पूछा, "आप यकीन करने के लिए कारण कैसे नहीं देंगे? वह उन कारणों को कैसे चुनौती देगा?"


इस बीच, ईडी ने दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपपत्र दाखिल किया है, जिसमें नीति के बदले 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिलने करने में अरविंद केजरीवाल की पार्टी की संलिप्तता का सीधा आरोप लगाया गया है. आरोपपत्र के मुताबिक, आप सुप्रीमो ने 'साउथ ग्रुप' के सदस्यों और विजय नायर जैसे अन्य लोगों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली, ताकि "एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया जा सके." जांच एजेंसी के अनुसार, नायर ने अरविंद केजरीवाल सहित आप के टॉप नेताओं की ओर से काम किया.


अपने बचाव में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ईडी को बताया कि शराब नीति मामले में सह-आरोपी नायर उनके अधीन नहीं बल्कि दिल्ली के मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम करता था. दिल्ली के मुख्यमंत्री को केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने 21 मार्च को एक मामले में गिरफ्तार किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और अन्य सहित आप नेताओं के जरिए शराब विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए शराब नीति में खामियां पैदा करने के लिए आपराधिक साजिश रची गई थी.