क्या जेल में जान देना चाहता है यासीन मलिक; डॉक्टरों से की इलाज न करने की अपील
Separatist JKLF leader Yasin Malik: दिल्ली के तिहाड़ जेले में उम्रकैद की सजा काट रहा यासिन मलिक पिछले शुक्रवार से जेल में भूख हड़ताल पर था, लेकिन बुधवार को उसकी हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती किया गया है.
नई दिल्लीः कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) राजधानी की तिहाड़ जेल में भूख हड़ताल कर रहा है. बुधवार को मलिक कर तबीयत बिगड़ने के बाद उसे आरएमएल अस्पताल (RML Hospital) में भर्ती कराया गया है. अस्पताल सूत्रों ने बुधवार को बताया कि मलिक के रक्तचाप में उतार-चढ़ाव आ रहा है, जिसके वजह से उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हालांकि, मलिक ने अस्पताल के डॉक्टरों को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह इलाज नहीं कराना चाहता है.
इस बात से भूख हड़ताल पर है यासीन मलिक
प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक को केंद्र सरकार ने रुबैया सईद के किडनैपिंग मामले की सुनवाई में जम्मू की एक अदालत में पेश होने की इजाजत नहीं दी थी, जिसके बाद उसने शुक्रवार से भूख हड़ताल शुरू की थी. रुबैया सईद के आठ दिसंबर, 1989 को हुए अपहरण से जुड़े मामले में मलिक आरोपी है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश के सामने पेश हुए मलिक ने कहा था कि वह रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहता है. मलिक को तिहाड़ की जेल नंबर सात में उच्च जोखिम वाले सेल में अकेले रखा गया है. यासीन मलिक को जेल के चिकित्सा जांच कक्ष में ले जाया गया था, जहां उसे आईवी फ्ल्यूड दिया जा रहा था.
उम्रकैद की सजा काट रहा है मलिक
उल्लेखनीय है कि जेकेएलएफ प्रमुख मलिक आतंकवाद के वित्त-पोषण के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है. मलिक को इसी साल मई में दिल्ली की एक अदालत ने आतंकवाद का वित्तपोषण करने के मामले में कसूरवार ठहराया था. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण द्वारा 2017 में दर्ज आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में मलिक को 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने गत मई में उसे सजा सुनाई थी. वहीं तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के आठ दिसंबर, 1989 को हुई किडनैपिंग से जुड़े मामले में भी मलिक आरोपी है. रुबैया सईद का कथित तौर पर जेकेएलएफ के आतंकवादियों द्वारा किडनैप किया गया था. रुबैया को पांच दिन बाद 13 दिसंबर को किडनैपर के चंगुल से छुड़ाया गया, लेकिन इसके बदले भाजपा द्वारा समर्थित तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को जेकेएलएफ के पांच दहशतगर्दों को रिहा करना पड़ा था.
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