नई दिल्लीः लखनऊ में एनआईए की एक स्पेशल कोर्ट ने 2017 में उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन में बम विस्फोट सहित अन्य आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामले में आईएसआईएस से जुड़े सात आंतकवादियों को मौत की सजा सुनाई है, जबकि उनके एक सहयोगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. एक अफसर ने बुधवार को बताया कि गुजरात में एनआईए की एक स्पेशल कोर्ट ने लोगों को कट्टरपंथ की तरफ मोड़ने और वैश्विक आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के नाम पर देश में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं की भर्ती करने के कसूरवार दो भाइयों को दस साल की उम्रकैद की सजा सुनाई है.

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मुजरिमों में इनका नाम हैं शामिल 
एनआईए के एक तर्जुमान ने कहा, "2017 में उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन के अंदर बम विस्फोट सहित अन्य आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामले में लखनऊ की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मंगलवार को मोहम्मद फैसल, गौस मोहम्मद खान, मोहम्मद अजहर, आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, सैयद मीर हुसैन और आसिफ इकबाल उर्फ ‘रॉकी’ को मौत की सजा, जबकि मोहम्मद आतिफ उर्फ ‘आतिफ इराकी’ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.’’  प्रवक्ता के मुताबिक, "उत्तर प्रदेश के रहने वाले इन दोषियों ने मारे गए आतंकवादी मोहम्मद सैफुल्ला के साथ मिलकर लखनऊ के हाजी कॉलोनी इलाके में अपना ठिकाना बनाया था और कुछ विस्फोटक उपकरण बनाने के साथ ही उनका परीक्षण किया था.’’ 

आईएसआईएस की विचारधारा के प्रचार का आरोप 
प्रवक्ता ने कहा, "आतिफ और तीन अन्य-दानिश, हुसैन और सैफुल्ला-सात मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में लगाए गए उस विस्फोटक उपकरण को बनाने के लिए जिम्मेदार थे, जिसमें धमाके से 10 लोग घायल हो गए थे.” एनआईए प्रवक्ता के मुताबिक, सभी दोषी भारत में आईएसआईएस की विचारधारा के प्रचार और उसकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एकजुट हुए थे. इस मकसद से फैसल, खान, मुजफ्फर, दानिश और सैफुल्ला ने कई क्षेत्रों का दौरा किया था. आरोपियों ने कोलकाता, सुंदरबन, श्रीनगर, अमृतसर, वाघा बॉर्डर, बाड़मेर, जैसलमेर, मुंबई और कोझिकोड सहित कई अन्य प्रमुख भारतीय शहरों की भी यात्रा की थी.

साल 24 फरवरी को दोषी करार दिया गया
प्रवक्ता ने बताया, "सात मार्च 2017 को हाजी कॉलोनी में आतंकवादी ठिकाने पर छापे के दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ में सैफुल्ला मारा गया था. सबसे पहले आठ मार्च 2017 को लखनऊ में आतंकवाद निरोधी दस्ते के पुलिस थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था. छह दिन बाद एनआईए ने इस मामले को दोबारा मामला दर्ज किया. जांच के बाद 31 अगस्त 2017 को आठों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था. मुकदमे के बाद आरोपियों को इस साल 24 फरवरी को दोषी करार दिया गया.

दोषसिद्धी की दर 93.69 फीसदी हो गई 
जांच एजेंसी ने कहा, “दोनों मामले अभियुक्तों को इंटरनेट के माध्यम से आईएसआईएस के नाम पर कट्टर बनाने और देश में हिंसक ‘जिहाद’ व आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए उकसाने से संबंधित हैं.” अफसर ने कहा कि दोनों मामलों में सजा के ऐलान से एनआईए द्वारा दर्ज मामलों में दोषसिद्धी की दर 93.69 फीसदी हो गई है.’’ 


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