Shahi Jama Masjid: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के 550 साल पुरानी एक शाही जामा मस्जिद को लेकर जिला अदालत ने एक आदेश जारी किया है. जिसमें शाही जामा मस्जिद के सर्वे को कराने की बात की गई है. दरअसल हिंदू पक्ष की तरफ से दायर की गई एक अपील में यह कहा गया था कि संभल की शाही जामा मस्जिद पहले हिंदू मंदिर था. यह आदेश 19 नवंबर को दिए गए थे.


शाही ईदगाह का सर्वे


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इसके बाद एक कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया गया था. स्थानीय पुलिस एसडीम की मौजूदगी में देर रात जब संभल की शाही जामा मस्जिद पहुंचे तो हड़कंप मच गया. इस दौरान कोड कमिश्नर भी मौजूद थे. इस आदेश के बाद स्थानीय लोगों कहना है कि एक ही दिन में यह अपील तैयार की गई और फिर उसकी उसी दिन सुवाई करते हुए सर्वे के आदे दिए गए, जो कि गलत है.


माहौल खराब करने की कोशिश


स्थानीय लोगों को कहना है कि कई पीढियां से यहां पर नमाज पढ़ी जा रही है. इस मस्जिद के अंदर एक पत्थर लगा हुआ है जिसपर पूरी हिस्ट्री लिखी हुई है कि मस्जिद कब बनी और किसने इसे बनवाया. इसके बावजूद भी मस्जिद को मंदिर बताकर ऐसी हरकत करना माहौल खराब करने की कोशिश है.


पहले भी हो चुकी है ऐसी हरकत


इलाकाई लोगों का कहना है कि पहले भी इस मस्जिद में कुछ शरारती तत्व घुसने की कोशिश कर चुके हैं. लेकिन, मामले को पुलिस और स्थानीय लोगों ने शांत कराया.


मस्जिद कमेटी के प्रेसिडेंट ने क्या कहा?


मस्जिद कमेटी के प्रेसिडेंट एडवोकेट जफर अली का बयान कहा मस्जिद थी मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. यह 1991 प्लेस आफ वरशिप एक्ट का सीधे तौर पर उल्लंघन है. मामले पर नजर बनाए हुए हैं. कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी लेने के बाद सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा. उसके बाद इसका कानूनी जवाब दिया जाएगा.


कब किया गया इस मस्जिद का निर्माण


शाही जामा मस्जिद का निर्माण साल 1528 में मीर हिंदू बेग के जरिए करवाया था. वह मुगल सेनापति और बाबर और हुमायूं दोनों की सेवा करने वाले एक भरोसेमंद दरबारी मेंबर थे. उन्होंने सम्राट बाबर के आदेश पर मस्जिद का काम अपने हाथ में लिया था. शाही जामा मस्जिद और दो दूसरी मस्जिदों की तामीर बाबर के समय में हुआ था. 


जामा मस्जिद का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है कई शाक आए औ गए और उस दौरान उन्हीं के जरिए इसे संभाला गया और इसकी मरम्मत गई. साउथ विंग में एक पत्थर पर इसकी तारीख के बारे में लिखा है कि रुस्तम खान दकानी ने 1657 में मस्जिद की मरम्मत की थी. उत्तरी विंग में एक समान पट्टिका 1626 में सैयद कुतुब द्वारा बनवाई गई थी.


रिपोर्ट- सैय्यद मुबश्शिर