Shahjahanpur: पूर्व केंद्रीय मंत्री पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती गुरुवार को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए.
शाहजहांपुर: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती गुरुवार को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. लिहाज़ा अदालत ने उन्हें और वक्त देने से इनकार कर दिया है. न्यूज़ एजेंसी भाषा के मुताबिक, अदालत ने पुलिस को आदेश देते हुए उन्हें गिरफ्तार कर आगामी 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है. एमपी-एमएलए कोर्ट की विशेष शासकीय वकील नीलिमा सक्सेना ने बताया कि, स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या द्वारा शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए यौन शोषण के एक मामले में अदालत ने गुरुवार को फिर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. उन्होंने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने हाईकोर्ट में मुकदमा वापस लेने की अपील की थी. जिसके खारिज हो जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. लेकिन वहां से भी उनकी अपील खारिज हो गई.
30 नवंबर को भी कोर्ट में नही हुए हाज़िर
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि, वह 30 नवंबर तक शाहजहांपुर कोर्ट में हाज़िर हों, लेकिन चिन्मयानंद शाहजहांपुर की एमपी-एमएलए अदालत में भी हाजिर नहीं हुए थे. इस पर उनके वकील ने कोर्ट में अर्ज़ी देकर बताया कि, स्वामी चिन्मयानंद ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है, जिस पर 6 दिसंबर को सुनवाई होनी है. लिहाजा उन्हें हाज़िर होने के लिए मोहलत दे दी जाए. लेकिन एमपी-एमएलए कोर्ट की जज आसमा सुल्ताना ने वक्त देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि, स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश करें.
2011 में यौन शोषण का मामला
न्यूज़ एजेंसी भाषा के मुताबिक, पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराया था. साल 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मुकदमे को वापस लेने के लिए डीएम के ज़रिए से कोर्ट को पत्र भेजा था. मगर पीड़िता ने आपत्ति जताते हुए अदालत से अनुरोध किया था. कि वह मुकदमा वापस नहीं लेना चाहती है. इसके बाद मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था. और स्वामी चिन्मयानंद के ख़िलाफ ज़मानती वारंट जारी कर दिया गया था.
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