`दुनिया अगर यही है तो दुनिया से बच के चल`, शकील बदायूनी के शेर
Shakeel Badayuni Poetry: शकील बदायूनी ने उर्दू शायरी को फिल्मी गोनों के जरिए नई परवान दी. शकील ने कई साल देहली में सरकारी नौकरी की इसके बाद वह मुंबई में रहे.
Shakeel Badayuni Poetry: शकील बदायूनी उर्दू के मशहूर शायर हैं. उनकी पैदाइश उत्तर प्रदेश के बदायूं शहर में 3 अगस्त 1916 को हुई. शकील बदायूनी बेहतरीन लिरिसिस्ट रहे हैं. उन्होंने बॉलीवुड के लिए कई गाने लिखे हैं. उन्होंने बॉलीवुड को 'चौधवीं का चांद', 'सुहानी रात ढल चुकी' और 'प्यार किया तो डरना क्या' जैसे बेहतरीन गाने दिए. शकील बदायूनी ने 20 अप्रैल 1970 को दुनिया को अलविदा कहा.
वो हम से दूर होते जा रहे हैं
बहुत मग़रूर होते जा रहे हैं
कल रात ज़िंदगी से मुलाक़ात हो गई
लब थरथरा रहे थे मगर बात हो गई
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो
आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना
नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे
काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया
भेज दी तस्वीर अपनी उन को ये लिख कर 'शकील'
आप की मर्ज़ी है चाहे जिस नज़र से देखिए
लम्हे उदास उदास फ़ज़ाएँ घुटी घुटी
दुनिया अगर यही है तो दुनिया से बच के चल