Sharjeel Imam Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कड़कड़डूमा अदालत को शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह के मामले में जमानत याचिका पर फैसला करने का निर्देश दिया. इमाम ने राजद्रोह मामले में जेल में गुजारी अवधि के बुनियाद पर बेल मांगी थी. वह जनवरी 2020 से जेल में हैं, और उन्होंने चार साल से ज्यादा सजा काट ली है, जबकि इस मामले में अधिकतम सजा सात साल है. 


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जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने निचली अदालत को सुनवाई के दस दिनों के अंदर जमानत याचिका पर फैसला करने का निर्देश दिया. यह याचिका 7 फरवरी, 2024 से  सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट के सामने लिस्टेड है.


बता दें कि इमाम दिल्ली दंगा मामले में आरोपी हैं.उन्होंने वैधानिक जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. एडवोकेट तालिब मुस्तफा ने बेंच के सामने कहा कि शरजील को जनवरी 2020 में अरेस्ट किया गया था.  वह पिछले 4 सालों से हिरासत में है. वहीं,  उनका जमानत आदेश तीन महीने के लिए सुरक्षित रखा गया था.  इसके बाद पीठासीन जज का तबादला कर दिया गया.  अब मामले को मौजूदा वक्त में स्पेशल जज के सामने नए सिरे से बहस के लिए लिस्टेड किया गया है.


इस बीच, हाई कोर्ट ने राजद्रोह मामले में इल्जाम तय करने के खिलाफ अपील को 8 मार्च, 2024 के लिए लिस्टेड कर दिया है.22 जनवरी को, एडिशनल सेशनल जज समीर बाजपेयी ने मामले को लिस्टेड किया और जमानत याचिका को 7 फरवरी, 2024 तक नए सिरे से बहस के लिए सूचीबद्ध किया है.


एडवोकेट तालिब मुस्तफा ने दिल्ली पुलिस के लिए एसपीपी द्वारा दी गई दलीलों का विरोध किया था. उन्होंने तर्क दिया कि एसपीपी जो दलील दे रहे हैं,  वह दोषसिद्धि के बाद के मामलों से संबंधित है. शरजील पर मुकदमा चल रहा है. ये उस पर लागू नहीं होती है.


उन्होंने यह भी दलील दी कि जमानत आदेश पिछले दो महीने से सुरक्षित रखा हुआ था. उन्होंने कहा, "मैं अब और इंतजार नहीं करने वाला हूं. इससे पहले, अदालत ने 11 सितंबर, 2023 को शरजील इमाम की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसमें राजद्रोह मामले में पहले ही बीत चुकी अवधि के बुनियाद पर वैधानिक जमानत की मांग की गई थी. वह 28 जनवरी, 2020 से हिरासत में हैं."