नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम (Sharjeel Imam) को राजद्रोह के एक केस में शुक्रवार को जमानत दे दी है. इस केस में इमाम पर 2019 में  जामिया में दंगे भड़काने का इल्जाम लगाया गया था. हालांकि जमानत मिलने के बाद भी इमाम को जेल में ही रहना होगा, क्योंकि उसे दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की साजिश रचने के आरोपों में अभी तक जमानत नहीं मिली है. 


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भाषण में इमाम के खिलाफ सबूत नहींः कोर्ट 
लगभग ढाई साल की कैद के बाद छात्र नेता इमाम को जमानत देते हुए, अदालत ने 22 अक्टूबर, 2021 की अपनी टिप्पणियों का भी जिक्र किया है. कोर्ट ने कहा, ’’ इमाम के भाषण को सुनने के बाद दंगाइयों के कार्रवाई करने का कोई सबूत नहीं था.’’ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर और वर्तमान मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना, आवेदक या मुल्जिम शरजील इमाम को 30,000 रुपए की जमानत की रकम के साथ ही इतनी ही राशि के निजी मुचलके पर जमानत दी जाती है.’’ न्यायाधीश ने कहा, ’’जमानत इस शर्त पर दी जाती है कि इमाम हमेशा मोबाइल पर उपलब्ध रहेगा और संबंधित जांच अधिकारी को अपने पते में होने वाले बदलाव की सूचना देगा.’’   

देशभर में राजद्रोह के मामलों में गिरफ्तारी पर लगी है रोक 
इस साल मई में पास एक अंतरिम आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व आदेश के तहत देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कोई ‘उचित’ सरकारी मंच इसका पुनः परीक्षण नहीं कर लेता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस कानून के तहत कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के निर्देश भी दिए थे. तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने व्यवस्था दी थी कि प्राथमिकी दर्ज कराने के अलावा, देशभर में राजद्रोह संबंधी कानून के तहत चल रही जांचों, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाहियों पर भी रोक रहेगी. 


इमाम के खिलाफ लगाई गई थीं ये धाराएं 
अदालत ने शुक्रवार को कहा कि उसने इमाम की याचिका को भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 ए (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत इल्जामें को ध्यान में रखते हुए खारिज कर दिया था. न्यायाधीश ने कहा कि मुल्जिम 31 महीने से ज्यादा वक्त से हिरासत में है और उसे वर्तमान मामले में 17 फरवरी, 2020 को गिरफ्तार किया गया था. अपराध शाखा ने इमाम को उसके कथित भड़काऊ भाषण से जामिया में दंगे भड़काने के इल्जाम में गिरफ्तार किया था. इमाम पर सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत भी केस दर्ज किए गए थे. 


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