Shiv Sena on Kumbh: शिवसेना नेता संजय निरुपम ने समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव से सवाल किया है और कहा है कि जब उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी तो एक मुस्लिम नेता आजम खान को कुंभ मेले का प्रभारी बनाया गया था, फिर एक गैर-मुस्लिम वक्फ बोर्ड का मेंबर क्यों नहीं हो सकता है.


क्या बोले संजय निरुपम?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

संजय निरुपम ने कहा, "सबसे पहले, प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ एक ऐतिहासिक प्रोग्राम है. इस आयोजन में दुनिया भर से हिंदू आते हैं. केंद्र सरकार के जरिए प्रस्तावित वक्फ अमेंडमेंट बिल में गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड के मेंबर के तौर पर शामिल करने का प्रावधान था. समाजवादी पार्टी ने इस प्रावधान का विरोध किया था. अब अखिलेश यादव से सवाल पूछे जा रहे हैं कि यूपी में उनके शासन के दौरान एक मुस्लिम नेता आजम खान को कुंभ मेले का प्रभारी बनाया गया था. जब एक मुस्लिम नेता हिंदुओं के सबसे बड़े समागम का प्रभारी हो सकता है, तो एक गैर-मुस्लिम वक्फ बोर्ड का सदस्य क्यों नहीं हो सकता?"


जेपीसी का गठन


हाल ही में, लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) बिल पर जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है और 2025 के बजट सेशन के आखिर तक अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. 5 दिसंबर को जेपीसी के प्रमुख जगदंबिका पाल ने बताया कि समिति ने अपने कार्यकाल के विस्तार से पहले दिल्ली में 27 बैठकें की थीं. इन बैठकों में कई हितधारकों और भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के साथ चर्चाएं शामिल थीं.


वक्फ प्रोपर्टी को कंट्रोल करने के लिए बनाए गए वक्फ अधिनियम 1995 की लंबे समय से मिसमैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है. वक्फ अमेंडमेंट बिल, 2024 का मकसद डिजिटलीकरण, उन्नत ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को दोबारा लेने करने के लिए कानूनी तंत्र जैसे सुधारों को लागू करके इन चुनौतियों का समाधान करना है.