नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के फाउंडर सर सैय्यद अहमद खां (Sir Sayed Ahmed Khan) आज ही दिन पैदा हुए थे. उनका जन्म साल 1817 में 17 अक्टूबर हुआ था. सर सैयद अहमद खां एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कड़ी मेहनत की थी. उन्ही कोशिशों का नतीजा है कि आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दुनियाभर में लिया जाता है.  यह यूनिवर्सिटी कई मायनों में खास है और काफी बड़ी है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस यूनिवर्सिटी में कभी 15 डिपार्टमेंट हुआ करते थे लेकिन आज 100 से भी ज्यादा विभाग हैं. एक जानकारी के मुताबिक यह यूनिवर्सिटी करीब 1200 एकड़ में फैली हुई है. यहां से आप नर्सरी में एडमिशन लेकर पूरी पढ़ाई कर सकते हैं. यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड 7 कॉलेज, 2 स्कूल, 2 पॉलिटेक्निक कॉलेज के साथ 80 हॉस्टल हैं. यहां 1400 के करीब टीचिंग स्टाफ है और 6000 के करीब नॉन टीचिंग स्टाफ है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तालीम के रिवायती और जदीद शाखा में 250 से ज्यादा कोर्स करवाए जाते हैं. 


यह भी देखिए: Sir Syed Day: कभी सिर्फ मुसलमानों के लिए थी AMU, इस तरह मिली सभी को इजाज़त, हिंदू छात्र बना पहला ग्रेजुएट


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1875 में सर सैयद अहमद खान ने किया थी. उस वक्त प्राइवेट यूनिवर्सिटी बनाने की इजाज़त नहीं मिलती थी. इसलिए पहले इसे मदरसे के तौर पर कायम किया गया. ये कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज में बनाया गया पहला आला तालीमी इदारा था. इस यूनिवर्सिटी की स्थाापना को 1857 के दौर के बाद भारतीय समाज की शिक्षा के क्षेत्र में पहली अहम कड़ी के तौर पर माना जाता है.


यह भी देखिए: आखिर अलीगढ़ में क्यों हुई मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना? यह किताब देती है इसका जवाब


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) अपनी लाइब्रेरी के लिए भी जानी जाती है. बताया जाता है कि यूनिवर्सिटी की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में 13.50 लाख कितबों के साथ तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं. इसमें अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता, 400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि, तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र, 1400 साल पुरानी कुरान, सर सैयद की पुस्तकें और पांडुलिपियां भी शामिल है.


ZEE SALAAM LIVE TV