अयोध्याः उत्तर प्रदेश में समाजवादी नेता और एमएलसी सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा हिदूं ग्रंथ रामचरितमानस पर दिए विवादित बयान के बाद वह साधु-संतों के साथ विरोधी दलों के निशाने पर आ गए हैं. उन्हें लगातार धमकियां मिल रही है. ब्यान के बाद जहां भाजपा ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मौर्य को पार्टी से निकालने की मांग की है, वहीं साधु-संतों ने मौर्य का सिर कलम करने, जुबान और नाक तक काटने और काटकर लाने वालों के लिए इनामों की घोषणा कर दी है. इस तरह की घोषणा करने वाले रोज-रोज नए साधु-संत सामने आ रहे हैं और इनाम की राशि भी बढ़ती जा रही है. मौर्य का सिर काटकर लाने के लिए पहले एक करोड़, फिर 500 और अब 10 करोड़ के इनाम की घोषणा की गई है. इनामों की घोषणा और इसके घटते-बढ़ते रकम को देखकर ऐसा लग रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर शेयर बाजार में बिकने वाले किसी शेयर की तरह हो गया है, जिसके दाम घटते-बढ़ते रहते हैं! 


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10 करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा 
सबसे पहले एक संत ने मौर्य का सिर लाने पर एक करोड़ के ईनाम की घोषाण की थी. इसके बाद शुक्रवार को अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस ने मौर्य का सिर लाने वाले को 500 रुपये का नकद इनाम देने की घोषणा की थी. साथ ही उन्होंने कहा जीभ लाने वाले को 300 रुपये और उसकी नाक काट कर लाने वाले को 200 रुपये इनाम दिया जाएगा. जगद्गुरु के इस बयान का कई लोगों ने यह कहकर मजाक भी उड़ाया था कि जब बाजार में एक बकरे का सिर भी 500 रुपये में नहीं मिलता है, तो मौर्य का सिर 500 में कौन लाएगा?  वहीं, अब अयोध्या में तपस्वी छावनी के प्रधान पुजारी महंत परमहंस दास ने सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर कलम करने के लिए 10 करोड़ का इनाम देने की घोषणा की है. इस मामले में महंत बहुत उदार दिखते हैं! इससे पहले भी उन्होंने रामचरितमानस पर टिप्पणी के लिए बिहार के मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की थी.

अपने सिर कलम करने पर इनामों की घोषणा पर क्या कहते हैं मौर्य ? 
इस बीच तुलसीदास के रामचरितमानस के कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाने पर सपा नेता मौर्य ने अपने सिर पर इनाम की घोषणा करने के लिए महंतों को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा, "अगर किसी दूसरे धर्म के किसी शख्स ने इस तरह की घोषणा की होती, तो उसे आतंकवादी करार दे दिया जाता अब तक. अब अगर संत और महंत मेरे सिर पर इनाम की घोषणा कर रहे हैं, तो क्या उन्हें आतंकवादी नहीं कहा जाना चाहिए?" रामचरितमानस में कुछ चौपाइयों पर अपने बयान को दोहराते हुए मौर्य ने कहा, "क्या मैंने कुछ गलत कहा है कि मुझे अपना बयान वापस लेना चाहिए? मैं सभी धर्मों की इज्जत करता हूं, लेकिन किसी भी किताब को किसी शख्स या समाज का अपमान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है."   


मौर्य ने आखिर ऐसा क्या कहा था ?
गौरतलब है कि पिछले इतवार को, स्वामी प्रसाद मौर्य ने 16 वीं शताब्दी के संत तुलसीदास द्वारा रचित धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस के कुछ अंशों पर सवाल उठाते हुए इस किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. उन्होंने इल्जाम लगाया था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं को लेकर अपमानजनक बातें लिखी गई है. सपा नेता ने कहा था, “मुझे रामचरित्रमानस से कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसके कुछ हिस्सों में विशेष जातियों और संप्रदायों पर अपमानजनक टिप्पणियां और कटाक्ष की गई है, जिसे हटाया जाना चाहिए. " 


कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य ?
स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के एक कद्दावर ओबीसी नेता है. वह अबतक कई पार्टियों में रह चुके हैं. बसपा और भाजपा के बाद वह आजकल तीसरी पार्टी सपा में हैं. यूपी में पहली योगी सरकार में वह भाजपा के साथ थे और सरकार में मंत्री भी थे. लेकिन सरकार पर ओबीसी हितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए गठबंधन से अलग होकर सपा का हिस्सा बन गए थे. अभी वह सपा से एमएलसी हैं, जबकि उनकी बेटी भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश से सांसद हैं. मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने अपने पिता का इस मामले में बचाव किया है.


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