Fake Pharmacists running medical store and dispensaries in Bihar:  सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में फर्जी फार्मासिस्टों द्वारा अस्पताल और मेडिकल स्टोर चलाने के इल्जामों की जांच करते हुए कहा है कि राज्य सरकार और उसकी फार्मेसी काउंसिल को नागरिकों की सेहत और जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने कहा, “किसी भी पंजीकृत फार्मासिस्ट की गैर-मौजूदगी में अस्पताल/डिस्पेंसरी चलाने और/या फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा ऐसे अस्पताल चलाने और यहां तक कि फर्जी फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर चलाएंगे तो इससे नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित होगा.“
बेंच ने कहा कि फार्मेसी कानून, 1948 के प्रावधानों के साथ-साथ फार्मेसी प्रैक्टिस कानून, 2015 के तहत यह देखना फार्मेसी परिषद और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि अस्पताल/मेडिकल स्टोर पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा चलाए जा रहे हैं या नहीं ? सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मेडिकल स्टोर और अस्पताल चलाने वाले फर्जी फार्मासिस्टों पर इल्जाम लगाते हुए पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका को बहाल करते हुए ये तंकीद की है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार और काउंसिल और लगाई फटकार 
बेंच ने कहा है कि जिस तरह से हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का निस्तारण किया है, नागरिक की सेहत और जिंदगी को छूने वाली बहुत गंभीर शिकायतों को हवा देने वाली रिट याचिका अस्वीकृत है. “ हाईकोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत निहित ताकतों का इस्तेमाल करने में नाकाम रहा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिट याचिका का निपटारा करने के लिए दिए गए फैसले और आदेश अस्थिर है.“ बेंच ने कहा कि बिहार राज्य फार्मेसी परिषद और राज्य सरकार पर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने के गंभीर इल्जाम हैं. 


शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट को भी लगाई फटकार 
मुकेश कुमार की याचिका पर सुनाए गए फैसले में कहा गया है कि हाईकोर्ट को बिहार राज्य फार्मेसी परिषद को फर्जी फार्मासिस्ट के इल्जामों और/या राज्य में कितने सरकारी अस्पतालों/अस्पतालों को पंजीकृत फार्मासिस्ट के बिना चलाने के आरोपों पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2019 को पास हाईकोर्ट के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि उसने याचिका का सबसे आकस्मिक तरीके से निस्तारण किया है और मामले को हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है और चार सप्ताह के अंदर नए सिरे से इस मुद्दे पर फैसला करने को कहा है. पीठ ने हाईकोर्ट से यह भी कहा कि फर्जी फार्मासिस्टों पर राज्य सरकार और बिहार राज्य फार्मेसी परिषद से विस्तृत रिपोर्ट मांगी जाए.


Zee Salaam