सुलभ शौचालय से करोड़ों भारतीय की ज़िन्दगी बेहतर बनाने वाले `टॉयलेट मैन` बिंदेश्वर पाठक का निधन
Bindeshwari Pathak death: बिहार से ताल्लुक रखने वाले समाजसेवक और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को दिल का दौड़ा पड़ने से दिल्ली में निधन हो गया.
नई दिल्लीः भारत में गैर-सरकारी स्तर पर सार्वजनिक शौचालयों का नेटवर्क यानी सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना करने वाले बिंदेश्वर पाठक की मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. वह 80 साल के थे. दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक सूत्र के मुताबिक, पाठक को दोपहर 1.15 बजे अस्पताल लाया गया था और दोपहर 1.30 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
परिवार के करीबी लोगों के मुताबिक, "पाठक मंगलवार सुबह एक ध्वजारोहण कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसके बाद वह अपने दफ्तर आए और बेचैनी की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया था."
गौरतलब है कि पाठक की संस्था सुलभ इंटरनेशनल ने 1.3 मिलियन से ज्यादा घरेलू शौचालयों और 50 मिलियन से ज्यादा सरकारी शौचालयों का निर्माण किया है. शौचालयों के निर्माण के अलावा, संगठन मानव अपशिष्ट की मैन्युअल सफाई को कम करने के लिए एक आंदोलन चला रहा है. पाठक के समाज को दिए योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा था.
रेलवे से किया था करार
इस संस्था ने देश में लाखों-करोड़ों लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने का काम किया है. भारतीय रेलवे ने नवंबर 2016 में सुलभ इंटरनेशनल से समझौता किया था. रेलवे परिसरों को साफ रखने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए बिंदेश्वर पाठक को अपने स्वच्छ रेल मिशन का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया था.
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने बताया मुल्क का बड़ा नुकसान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक के निधन पर शोक जताया है. मोदी ने एक ट्वीट में कहा, “डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है.’’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी बिंदेश्वर पाठक के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, " पाठक के निधन की खबर बेहद दुखद है. उन्होंने शौचालय बनाकर स्वच्छता सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया, उन्होंने कहा कि पाठक को पद्म भूषण और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था."
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