Sharjeel Imam Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश से जानना चाहा कि क्या उन्हें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम के मुकदमे को दिल्ली ट्रांस्फर करने पर कोई दिक्कत है? इमाम ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए उनके खिलाफ देशद्रोह के इल्जाम लगाने वाली कई FIR को एक साथ जोड़ने की गुजारिश की.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चार हफ्ते के लिए सुनवाई मुलतवी
जज संजीव खन्ना, जज संजय कुमार और जज आर. महादेवन की पीठ ने चारों राज्यों से इस सवाल का जवाब देने को कहा और मामले की सुनवाई चार हफ्ते के लिए मुल्तवी कर दी. मुखतसर सुनवाई के दौरान इमाम की तरफ से अदालत में पेश सीनियर अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ को बताया कि असम और मणिपुर में दर्ज FIR में आरोपपत्र दाखिल कर दिए गए हैं.


यह भी पढ़ें: दाढ़ी रखने की वजह से निलंबित हुआ मुस्लिम पुलिसकर्मी; अब सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई


FIR को दिल्ली ट्रांसफर करने की गुजारिश
उन्होंने आगे कहा कि असम मामले में वैधानिक जमानत का भी सवाल है. पीठ ने कहा कि उसे प्रतिवादी राज्यों का जवाब जानने की जरूरत है कि क्या उन्हें इस बात पर कोई आपत्ति है कि आरोपपत्र दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिए जाएं, जहां आरोपी के खिलाफ मुकदमा आगे चल सकता है. अदालत 2020 में दायर इमाम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दीगर राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज कई FIR को एक साथ जोड़ने और उन्हें दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने की गुजारिश की गई. 


यूनिवर्सिटी में भड़काई भाषण देने का इल्जाम
सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई, 2020 को याचिका पर उत्तर प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर से जवाब मांगा था और दिल्ली सरकार को मामले में जवाब दाखिल करने का एक और मौका दिया था. दिल्ली पुलिस ने इमाम के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने 28 जनवरी, 2020 को इमाम को बिहार के जहानाबाद से जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में देशद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया था.