गुजरात दंगों के 9 में से 8 केस हुए बंद; सुप्रीम कोर्ट ने कहा, काफी वक़्त गज़र गया सुनवाई का मतलब नहीं
Gujarat Riots: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों से जुड़े सभी केस बंद करने का हुक्म दिया है.तीन रूक्नी बेंच ने कहा कि इतना लंबा टाइम गुज़र गया है.अब इस पर सुनवाई करना बेकार है.9 में से सिर्फ एक केस की सुनवाई जारी रहेगी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात फसादात से जुड़े 9 में से 8 केस बंद करने का हुक्म दिया है. इन सभी मामलों से जुड़ी कई अर्ज़ियां सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग थीं. सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित की ज़ेरे क़यादत तीन जजों की पीठ ने मंगल को कहा कि 20 साल गुज़रने के बाद इन मामलों पर समाअत करने का कोई मतलब नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अदालत को इन अर्ज़ियों पर अब ग़ौर करने की कोई ज़रूरत नहीं है.इसलिए 9 में से 8 केसों को बंद किया जा रहा है.
वहीं एक दीगर मामले में कोर्ट ने समाजी कारकुन तीस्ता सीतलवाड़ को राहत के लिए अपील करने की इजाज़त दे दी.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात फसादात से जुड़े 9 में से 8 केस में निचली अदालतें अपना फैसला सुना चुकी हैं। इनमें क़ौमी हुक़ूक़े इंसानी कमीशन यानि NHRC की अर्ज़ी भी शामिल है.
9 में से 8 केस का ट्रायल पूरा, एक मामले की समाअत जारी
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यूयू ललित की क़यादत वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. बेंच में जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल हैं.तीन जजों की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही गुजरात फसादात से जुड़े 9 केस की जांच के लिए एसआईटी की तश्कील कर चुका है. इनमें से 8 केस का ट्रायल पूरा हो चुका है.जबकि नारोदा गांव से जुड़े मामले की समाअत अभी जारी है।
गुजरात में 2002 में हुए थे फसादात
27 फरवरी साल 2002 ऐसे काली तारीख़ है जब गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को आग लगा दी गई थी. जिसमें अयोध्या से लौट रहे 58 हिंदू तीर्थ यात्रियों और कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे गुजरात में फिरक़ावाराना फसादात शुरू हो गए थे. गुजरात में तक़रीबन तीन माह तक दो तबक़ों के बीच हिंसा भड़कती रही.जिसमें दोनों समुदायों के लोगों ने अपने परिवार के लोगों को हमेशा के लिए खो दिया.गुजरात फसादात हिन्दुस्तान के माथे पर लगा एक सियाह दाग़ है.
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