Hate Speech: सुप्रीम कोर्ट AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना तौकीर रजा खान, एक्टर कमल हासन, डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सोमवार (4 मार्च) को सुनवाई करेगा. इल्जाम है कि इन लोगों ने हिंदू समुदाय के खिलाफ कथित नफरती भाषण दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी के मुताबिक याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ 4 मार्च को सुनवाई करेगी.


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हिंदुओं के खिलाफ जंग का ऐलान
जनहित याचिका (PIL) में उन नफरत भरे भाषणों पर कार्रवाई की मांग की गई है जो पूरे भारत में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में दिए गए हैं. इल्जाम है कि इन भाषणों में भारतीय नागरिकों के एक अहम वर्ग के खिलाफ जंग का ऐलान करने के मकसद के साथ बात कही गई है. इल्जाम यह भी है कि नफरत भरे भाषणों में जातीय सफाए के लिए हिंदुओं के नरसंहार का खुला आह्वान शामिल था. इल्जाम लगाया गया है कि भाषण केवल नफरत वाले भाषण नहीं हैं, बल्कि हिंदू सदस्यों की हत्या के खुले आह्वान के समान हैं. 


असदुद्दीन ओवैसी
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने ये याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि प्रतिवादी तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी निर्देशों की अवहेलना करने के दोषी हैं और नफरत फैलाने वाले भाषणों की कथित घटनाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सहित परिणामी निर्देश चाहते हैं. जनहित याचिका में जिक्र किया गया है कि 1 जनवरी को हैदराबाद में AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जो भाषण दिया है उसमें मुस्लिम युवाओं को मस्जिदों में रहने के लिए उकसाया गया था. याचिका के मुताबिक ओवैसी ने मुस्लिम नौजवानों से अपील की कि अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचें की तरह उनकी मस्जिदें भी उनसे छीन ली जाएंगी.


उदयनिधि स्टालिन
याचिका में पिछले साल सितंबर में तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिए गए "घृणास्पद भाषण" का हवाला दिया गया था, जिसमें 'सनातन धर्म' का विरोध करने के बजाय उसे डेंगू और मलेरिया की तरह खत्म करने का आह्वान किया गया था. इसी तरह याचिका में महाराष्ट्र के नेता जीतेंद्र अव्हाड के उस बयान का भी जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भगवान राम सिर्फ शाकाहारी रहकर 14 साल तक जंगल में नहीं रह सकते और क्षत्रिय मांसाहारी भोजन कर सकते हैं.


फतेह बहादुर सिंह
इसके अलावा, इसमें बिहार के विधायक फतेह बहादुर सिंह की टिप्पणी का हवाला दिया गया, जिन्होंने मंदिरों को "मानसिक गुलामी का रास्ता" बताया है. याचिका के मुताबिक, सिंह ने कहा था: "यदि आप घायल हो जाते हैं, तो आप कहां जाएंगे? मंदिर या अस्पताल? यदि आप शिक्षा चाहते हैं और एक अधिकारी, विधायक या सांसद बनना चाहते हैं, तो क्या आप मंदिर या स्कूल जाएंगे?" 


स्वामी प्रसाद मौर्य
जनहित याचिका में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने "हिंदुओं पर हमला किया और इस साल 22 जनवरी को अयोध्या में हुए राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का मजाक उड़ाया". इसमें कहा गया है, "इस प्रकार उक्त भाषण न केवल हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा हैं, बल्कि लाखों हिंदू नागरिकों के जीवन को भी खतरे में डालते हैं."