श्रीनगर: पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. कभी दहशतगर्दों की दरअंदाज़ी तो कभी दहशतगर्दाना हमले को अंजाम देने की फिराक़ में रहता है. आज सुबह तड़के तक़रीबन 4:15 बजे जम्मू रीजन के अरनिया सेक्टर में ड्रोन की सरगर्मी देखी गई. यह ड्रोन पाकिस्तान की तरफ से आया था. ड्रोन की रोशनी देखते ही बीएसएफ के जवानों ने मोर्चा संभाला. कई राउंड की गई फायरिंग के बाद ड्रोन वापस लौट गया. इलाके में तलाशी मुहिम चलायई जा रही है.


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ड्रोन के जरिए सरहद पार से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) एक हिकमते अमली के तहत इस पार भेजी जा रही है. जिसे ज़्यादातर हाईवे के नज़दीक गिराया जा रहा है. इसका मकसद है कि आईईडी आसानी से आतंकियों के लिए काम करने वाले मददगारों तक पहुंच जाए.


इस्से पहले भी कई बार देखे गए हैं ड्रोन


बीते कुछ दिनों से सरहद पार से ड्रोन के जरिये मुश्तबह और धमाकाखेज़ सामान गिराने के कई मामले सामने आए हैं. कानाचक इलाक़े में मंगलवार को मिली आईईडी भी जम्मू-पुंछ हाईवे के अखनूर के नजदीक थी. इसके पहले पिछले साल अखनूर पुल के नजदीक हाईवे के पास छह किलो की आईईडी मिली थी. कुछ दिन पहले कठुआ के राजबाग में भी पेलोड के साथ आया ड्रोन हाईवे तक पहुंच गया था.


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सरहद पार से हाईवे के आसापास गिराई जाती है आईईडी


पुलिस के एक सीनियर अफ़सर बताते हैं कि सरहद पार से हाईवे के आसापास आईईडी इसलिए गिराई जाती है ताकि इसे लेने पहुंचे मददगारों को दिक्कत न हो, यदि कहीं किसी तरह फंसने की हालत आ जाए तो भागने में भी आसानी हो. हाईवे पर गाड़ियों की मूवमेंट ज़्यादा होती है. यहां पहचान करना मुश्किल हो जाता है. इत्तेला के मुताबिक़, कठुआ, अखनूर, अरनिया और सांबा में पिछले एक साल में ड्रोन के जरिए सीमापार से आईईडी और हथियार लाने के सात मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन इनमें से किसी एक भी रिसीवर को नहीं पकड़ा गया है.


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