Taslima Nasrin Lajja Banned: बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार पर राज्य में उनके नाटक 'लज्जा' पर रोक लगाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम कला और साहित्य का दमन और सेंसरशिप कर रही हैं. दरअसल वेस्ट बंगाल सरकार ने लज्जा नॉवेल पर आधारित नाटक पर रोक लगा दी. इसी के बाद राइटर का रिएक्शन सामने आया है.


तस्लीमा नसरीन ने क्या कहा?


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अपने फेसबुक पोस्ट में नसरीन ने दावा किया कि दो महीने तक चलने वाले फेस्टिवल के एड्स के बावजूद, ममता बनर्जी की पुलिस ने बिना किसी पहले जानकारी के अचानक इंटरफेयर किया और आयोजकों को बताया कि 'लज्जा' को छोड़कर सभी नाटकों को करने की इजाजत होगी. इस नाटक का मंचन हुगली के गोबरडांगा और पांडुआ में होने वाले थिएटर महोत्सवों में किया जाना था.


उन्होंने अपने पोस्ट पर लिखा,"ममता बनर्जी ने आज पश्चिम बंगाल में मेरे नाटक 'लज्जा' पर रोक लगा दी है. यह नाटक हुगली के गोबरडांगा और पांडुआ में होने वाले थिएटर फेस्टिवल में किया जाना था. फेस्टिवल के लिए एड दो महीने से चल रहे थे और अब, बिना किसी पहले जानकारी के, ममता बनर्जी की पुलिस ने अचानक हमें सूचित किया कि लज्जा को छोड़कर सभी नाटक मंचित किए जाएंगे. नबापल्ली नाट्य संस्था ने इस नाटक का दिल्ली में तीन बार मंचन किया है."


क्यों लगाया सरकार ने बैन?


लेखिका ने आगे दावा किया कि पुलिस ने संभावित दंगों की फिक्र का हवाला देकर नाटक पर रोक सही ठहराया है. उन्होंने कहा,"पुलिस का दावा है कि लज्जा का मंचन मुसलमानों को दंगा भड़काने के लिए उकसाएगा. संभावित मुस्लिम दंगों के इसी बहाने का इस्तेमाल करते हुए राज्य सरकार ने पहले मेरे मेगा धारावाहिक 'दुस्साहस' का टेलीकास्ट रोक दिया था, जो तनावपूर्ण रिश्तों से जुड़ा हुआ था."


बांग्लादेश की घटना तो पश्चिम बंगाल में डर क्यों?


नसरीन ने रोक की वजह पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'लज्जा' बांग्लादेश की एक घटना को दर्शाती है, जिससे पश्चिम बंगाल में दंगों का डर निराधार है. उन्होंने कहा, 'लज्जा में जो घटना दिखाई गई है, वह बांग्लादेश की है. बांग्लादेश की घटना पर पश्चिम बंगाल के मुसलमान क्यों दंगा करेंगे? यह मेरी समझ से परे है. दंगों के डर का हवाला देते हुए एक बार मुझे भी पश्चिम बंगाल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था.'


लेखकों की क्यों दबाई जाती है आवाज़


तस्लीमा आगे लिखती हैं,"दंगे भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय कला और साहित्य पर सेंसरशिप क्यों लगाई जाती है? कलाकारों और लेखकों की आवाज़ क्यों दबाई जाती है? मैं कब तक अकेले यह सवाल पूछती रहूंगी? क्या कोई और अन्याय के खिलाफ़ खड़ा होने की ज़िम्मेदारी महसूस नहीं करता?"


लज्जा नॉवेल में ऐसा क्या है?


लज्जा तस्लीमा नसरीन के जरिए लिखी गया एक बंगाली उपन्यास है. ये बंगाली समेत कई भाषाओं में मौजूद है. "लज्जा" शब्द का अर्थ "शर्म" होता है. उपन्यास में दिसंबर 1992 में बंगाली हिंदुओं पर हुई हिंसा, बलात्कार, लूटपाट और हत्याओं को दर्शाया गया है. 1993 में पहली बार बंगाली में प्रकाशित इस पुस्तक पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगा दिया गया था.


इस नॉवेल को लेकर बांग्लादेश में भारी विवाद पैदा हुआ था. इस दौरान उन्हें कई इस्लामी कट्टरपंथियों की धमकियों का सामना करना पड़ा. उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया, और उनकी हत्या की मांग की गई. इसके चलते उन्हें 1994 में बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.


बीजेपी ने दी प्रतिक्रिया


नसरीन के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, "यदि ममता बनर्जी बंगाल में कानून-व्यवस्था संभालने में असमर्थ हैं और मुस्लिम वीटो से इतनी भयभीत हैं कि कला, संस्कृति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी दबाया जा रहा है, तो उन्हें पद छोड़ने पर विचार करना चाहिए."


बता दें, तस्लीमा नसरीन काफी विवादों में घिरी रही हैं. भारत में निर्वासन के दौरान, तस्लीमा नसरीन पर कोलकाता में एक पब्लिक रैली के दौरान हमला किया गया. दरअसल इस दौरान उनकी किताब शोध आई थी और इसको लेकर उन्हें काफी मुखालिफत का सामना करना पड़. लोगों ने उन पर धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.