Telangana Assembly Elections: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) तेलंगाना असेंबली की सात सीटों पर अपना दबदबा क़ायम रखना चाहती है. यही वजह है कि पार्टी पुराने हैदराबाद के मुस्लिम अकसरियती निर्वाचन क्षेत्रों में अभी से अपनी पकड़ मज़बूत करने में जुट गई है. AIMIM ने पहले की तरह ही अपनी चुनावी मुहिम दूसरों से पहले शुरू कर दी है. पिछले कुछ दिनों से पार्टी चीफ़ असदुद्दीन ओवैसी रैलियो को 'जलसा-ए-हालात-ए-हज़ेरा' शीर्षक से खिताब करके अपने हामियों का जोश बढ़ रहे हैं. ओवैसी ने लोगों से एकजुट रहने और हिमायत करने की अपील की. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि समस्याओं के हल के लिए पार्टी लगातार संघर्ष कर रही है.


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तेलंगाना में बीजेपी को नहीं मिलेगी सत्ता: ओवैसी
ओवैसी ने भरोसा ज़ाहिर किया कि तेलंगाना में बीजेपी कभी सत्ता हासिल करने में कामयाब नहीं होगी. एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दलित समुदाय और पिछड़े वर्ग के हमारे हिंदू भाई चाहते हैं कि तेलंगाना में अमन और आपसी भाईचारा कायम रहे. हैदराबाद की सियासत में तक़रीबन चार दशकों से एआईएमआईएम का काफी दबदबा रहा है. हैदराबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र और शहर के सात मुस्लिम बहुल असेंबली क्षेत्रों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखते हुए एआईएमआईएम ने 2014 और 2019 दोनों इलेक्शन में राज्य के बाकी हिस्सों में टीआरएस का समर्थन किया था.


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केसीआर कर चुके हैं तारीफ़
माना जाता है कि हैदराबाद में 10 निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटर्स 35 से 60 फीसद के बीच हैं और राज्य के बाकी हिस्सों में फैले 50 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में उनकी तादाद 10 से 40 फीसद के बीच है. आठ विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर जहां एआईएमआईएम के उम्मीदवार मैदान में थे, पार्टी ने शेष सभी निर्वाचन क्षेत्रों में टीआरएस की हिमायत की है, जबकि एआईएमआईएम के सियासी मुख़ालेफीन ने पार्टी पर सांप्रदायिक राजनीति करने का इल्ज़ाम लगाया. केसीआर ने कई मौकों पर अपने क़रीबी और हैदराबाद के एमपी असदुद्दीन ओवैसी का बचाव किया. केसीआर ने लोकतांत्रिक तरीक़े से मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एआईएमआईएम प्रमुख की तारीफ़ की है.


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