नई दिल्लीः मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की दूर संचार कंपनी बीएसएनएल में स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति योजना लाई थी, जिसके तहत 60 हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने नौकरी रहते हुए समय से पहले से स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. अब एक ताजा मामले में दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संयुक्त सचिव समेत दूरसंचार विभाग के 10 वरिष्ठ अफसरों को जबरन सेवानिवृत्त करने पर मुहर लगा दी है. बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार को एकदम बर्दाश्त न करने की नीति और 'काम करो या काम छोड़ो’ मुहिम के तहत यह छंटनी की गई है.

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जीरो टॉलरेंस नीति के तहत हुई कार्रवाई  
विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को इन अफसरों को जबरन सेवानिवृत्त किए जाने के फैसले की जानकारी दी है. ऐसा पहली बार हुआ है जब दूरसंचार विभाग के स्टाफ को सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के पेंशन नियम 48 के धारा 56 (जे) के तहत जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है. सूत्र ने बताया, "दूरसंचार मंत्री ने संदिग्ध ईमानदारी और भ्रष्टाचार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत दूरसंचार विभाग के 10 वरिष्ठ अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति देने पर अपनी सहमति दी है. 

मंत्री की बैठक पर झपकी लेने पर एक अफसर की गई थी नौकरी 
गौरतलब है कि इन 10 अफसरों में नौ अफसर निदेशक स्तर पर काम कर रहे थे, जबकि एक अफसर संयुक्त सचिव स्तर का है. दूरसंचार मंत्री ने यह फैसला हर साल सरकार द्वारा मनाए जाने वाले सुशासन दिवस ​​की पूर्व संध्या से एक दिन पहले किया है. इससे पहले सितंबर में सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के एक वरिष्ठ अफसर को मंत्री अश्विनी वैष्णव की बैठक में झपकी लेते हुए पाए जाने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी. रेलवे विभाग ने भी लगभग 40 अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति दी है. गौरतलब है कि वैष्णव के पास दूर संचार के अलावा रेलवे मंत्रालय का भी अतिरिक्त प्रभार है.


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