मुंगेर: बिहार के मुंगेर (Munger) जिले में एक ऐसी वारदात सामने आई है, जिसके बारे में जो भी सुन रहा है वो हैरान हो जाता है. दरअसल यहां दुल्हन के साथ सात फेरे लिए और दुल्हन की मांग में सिंदूर भरे पांच से छह घंटे ही हुए थे कि दुल्हन की मौत हो गई. जिस घर से ससुराल के लिए दुल्हन की डोली निकलनी थी वहां से सुबह उसकी अर्थी निकली और परंपरा के मुताबिक पति ने ही मुखाग्नि भी दी.


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मुंगेर जिले के तारापुर अनुमंडल के अफजल नगर पंचायत के खुदिया गांव में रंजन यादव उर्फ रंजय की बेटी निशा कुमारी की शादी को लेकर परिवार के लोग काफी खुश थे. तय वक्त के मुताबिक आठ मई हवेली खड़गपुर के महकोला गांव से सुरेश यादव के पुत्र रवीश की बारात पहुंची और शादी ब्याह की रस्म पूरी की गई. कोरोना गाइडलाइन का पालने करते हुए कुछ ही तादाद में बाराती पहुंचे. 


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शादी को लेकर सभी विधि विधान चल रहे थे. दुल्हा और दुल्हन ने सात फेरे ले लिए थे और दुल्हा ने दुल्हन की मांग भी भर दी थी, इसके बाद अचानक दुल्हन बनी निशा की तबियत बिगड़ गई. दोनों परिजनों ने आनन-फानन में दुल्हन निशा को तारापुर में मौजूद सामुदायिक केंद्र लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने नाजुक हालत को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया. इलाज के दौरान ही लाल सुर्ख जोड़े में निशा ने अंतिम सांस ली.


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हालांकि दुल्हन निशा के साथ जीवन बिताने के सात फेरे लेने वाले पति रवीश कुमार को अपनी पत्नी को डोली पर बिठाकर विदा कर अपने घर महकोला की जगह उनके शव को सीधे श्मशान ले जाना पड़ा. सुल्तानगंज श्मसान घाट पर रवीश ने सनातन परंपरा के मुताबिक मुखग्नि दी और कुछ ही घंटे पहले पत्नी बनी निषा को अंतिम विदाई दी.


(इनपुट:IANS)


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