श्रीनगरः राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में विपक्ष को कोई उम्मीदवार ही नहीं मिल रहा है. कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों की तरफ से जारी राष्ट्रपति ओहदे के उम्मीदवार (presidential candidate) की तलाश अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farukh Abdullah) ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस लेते हुए कहा कि वह ‘बेहद महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे जम्मू-कश्मीर’ का रास्ता तय करने में अपनी भूमिका निभाना चाहेंगे. हालांकि, उन्होंने अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनका नाम का प्रस्तावित करने को लेकर विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद दिया. गौरतलब है कि इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने से मना कर चुके हैं. 

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सम्मानित महसूस कर रहा हूं 
नेकां द्वारा जारी बयान के मुताबिक, लोकसभा सदस्य ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति ओहदे के लिए संयुक्त विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उनका नाम पेश किए जाने पर वह सम्मानित महसूस कर रहे हैं. अब्दुल्ला ने एक बयान में कहा कि ममता दीदी द्वारा मेरे नाम का प्रस्ताव रखे जाने के बाद मुझे विपक्ष के कई नेताओं का कॉल आया और वे उम्मीदवार के रूप में मेरे नाम की हिमायत कर रहे हैं.

सक्रिय राजनीति में अभी बहुत कुछ करना है 
नेकां प्रमुख ने कहा कि मेरा मानना है कि जम्मू-कश्मीर इस वक्त बहुत नाजुक हालात से गुजर रहा है और इन अनिश्चित समय में उसे मेरी जरूरत है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि ‘सक्रिय राजनीति में अभी उन्हें बहुत कुछ करना है और वह जम्मू-कश्मीर और देश की सेवा में अभी बहुत कुछ करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए मैं अपने नाम को पूरे सम्मान के साथ वापस लेना चाहता हूं और मैं संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार की हिमायत करूंगा.


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