नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को ’कैद’ में रखे जाने के लिए बुद्धिजीवी और दार्शनिक नोम चोम्स्की और महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी समेत चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने निंदा की है. हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल, दलित सॉलिडेरिटी फोरम और इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल ने चोम्स्की और गांधी के साथ खालिद को रिहा करने की मांग की, जो 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में हैं.

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नयायिक व्यवस्था का खराब चेहरा सामने आया है
मशहूर दानिश्वर और फिलॉसफर चोम्स्की और यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय में रिसर्च प्रोफेसर गांधी ने शनिवार को वीडियो बयान जारी करके खालिद को कैद में रखे जाने की निंदा की है. चोम्स्की ने पहले से रिकॉर्ड अपने बयान में कहा कि दमन और हिंसा के इस दौर में खालिद का मामला ’उन कई मामलों में से एक है, जिनमें भारत की न्यायिक व्यवस्था का खराब चेहरा सामने आया है. स्वतंत्र संस्थान कमजोर होते दिख रहे हैं...धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की भारत की सम्मानजनक परंपरा को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं।’’ 

भारत के अच्छे नाम के लिए एक नया झटका है
गांधी ने कहा कि खालिद के तौर पर भारत के पास एक बेहद प्रतिभाशाली और होनहार शख्स है, लेकिन उन्हें मुसलसल 20 महीने से चुप कराकर रखा गया है. उन्होंने कहा कि खालिद को चुप कराया जाना दुनिया के सामने भारत की छवि पर एक धब्बे के मानिंद है. गांधी ने कहा कि उमर और अन्य हजारों लोगों की हिरासत दुनिया में लोकतंत्र, मानवीय गरिमा और भारत के अच्छे नाम के लिए एक नया झटका है.’’ 

दिल्ली दंगों में है साजिश रचने का इल्जाम 
गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में हुए दंगों से संबंधित मुबैयना साजिश के मामले में इस साल मार्च में खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था. अदालत ने कहा था कि उनके खिलाफ इल्जाम प्रथम दृष्टया सही हैं. यह मानने के लिए उचित आधार हैं. खालिद के खिलाफ दंगों की साजिश रचने के इल्जाम में गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. दिल्ली में हुए इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.


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