नई दिल्लीः आमतौर पर मौलवी और अन्य धार्मिक नेता अपनी तकरीरों में मुसलमानों से बेटियों को सिर्फ दीनी यानी धार्मिक शिक्षा देने की वकालत करते हैं और वह लड़कियों को आधुनिक और प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए प्रेरित नहीं करते हैं. लेकिन मुंबई में रहने वाले एक शिया धार्मिक नेता दंपति इसलिए चर्चा में आ गए हैं कि उनकी बेटी पायलट बन गई है. मौलाना शेर मोहम्मद जाफरी और उनकी पत्नी आलिमा फराह जाफरी दोनों धर्म प्रचारक, उपदेशक और मौलवी है. उनकी बेटी मोहद्देसा जाफरी हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से प्रोफेशनल पायलट का लाइसेंस लेकर वहां से अपने वतन लौटी है.

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यहां से मिली पायलट बनने की प्रेरणा 
दरअसल, पायलट का लाइसेंस मिलने के साथ ही मोहद्देसा जाफरी बिजनेस पायलट बनने वाली महाराष्ट्र की पहली शिया महिला बन गई है. लंबी और दुबली- पतली-सी दिखने वाली 26 साल की मोहद्देसा मुश्किल से सात साल की थीं, जब फरवरी 2003 में हाउस शटल कोलंबिया आपदा में भारत में जन्मी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की मृत्यु हो गई थी. जब वह अपने पिता के साथ सड़कों पर कहीं जा रही थीं तो उन्होंने चावला के पोस्टर और बैनर देखे थे. पूछने पर उसके पिता ने बताया था कि यह तस्वीर किसकी है. 

कल्पना चावला की कहानी सुनकर उनकी प्रशंसक बन गई
मोहद्देसा ने बताया कि जब उनके पिता ने बताया कि यह कल्पना चावला की तस्वीर है और वह एक अंतरिक्ष यात्री थीं. एक मिशन से अंतरिक्ष से लौटते वक्त उनकी दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी तो मैं चुपचाप कल्पना चावला का प्रशंसक बन गई. जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई, मैंने कल्पना चावला के बारे में कई रिपोर्ट, लेख और कई फिल्में देखीं. मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मुझे विमानन उद्योग से जुड़ना है. फिर मोहद्देसा ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में एक फ्लाइंग स्कूल में एडमिशन लिया. चूंकि उनके पिता दक्षिण अफ्रीका में कुछ वर्षों तक रहे थे, इसलिए उनके लिए वहां पढ़ाई करना थोड़ा आसान लगा. 

मां-बाप को सुनने पड़े रिश्तेदारों के ताने 
मोहद्देसा ने बताया कि जब वह दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हुई और जाकर पढ़ाई शुरू की तो उसके माता-पिता को रिश्तेदारों से “अपमानजनक टिप्पणी“ का सामना करना पड़ा. लोगों ने कहा, “एक मौलाना और आलिमा (धार्मिक शिक्षा में महिला ग्रेजुएट ) अपनी इकलौती बेटी को पायलट के पाठ्यक्रम में कैसे डाल सकते हैं?“ मोहद्देसावह ने कहा यह हमारे मा-बाप के लिए बेहद परेशान करने वाली टिप्पणियां थी जिसे उन्होंने मेरे लिए सुना. हम सब चुप रहे क्योंकि हम जानते थे कि हम कोई गलती नहीं कर रहे हैं. 


जो मेरी बेटी कर रही है उसमें कुछ भी अनैतिक नहीं है 
मोहद्देसा की मां आलिमा फराह जाफरी ने कहा कि अगर हमारी बेटी का सपना था और उसमें कुछ भी अधार्मिक या अनैतिक नहीं था, तो हमें उसकी मदद करनी थी, और मैंने वही किया. वह मां-बेटी दोनों हिजाब का इस्तेमाल करती हैं. माँ ने कहा कि हमारी बेटी भविष्य में मिलने वाली तमाम चुनौतियों से निपटने में सक्षम है. वहीं, मोहद्देसा के पिता ने कहा कि मैं और मेरी पत्नी प्रचारक हैं. यह अल्लाह और हज़रत इमाम हुसैन (पैगंबर मुहम्मद के नाती जो इराक में 680 में कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए थे) के आशीर्वाद के कारण है कि वह अपने सपने को पूरा कर पाई है. 


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