नई दिल्लीः दिल्ली के महरौली में श्रद्धा वॉकर हत्या कांड के बाद देशभर से ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें प्रेमी या प्रेमिका ने अपने साथी की हत्या कर उसकी लाश को टुकड़े-टुकड़े में काटकर फेक दिया, नाले में बहा दिया या फिर उसे जला दिया. आफताब पूनावाला ने श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े किए थे. वहीं सोमवार को दिल्ली के पांडव नगर में एक नए केस का खुलासा हुआ है, जिसमें एक महिला ने अपने बेटे के साथ मिलकर अपनी पति की हत्या कर उसके शरीर के कई टुकड़े कर दिए. उसे कुछ दिन फ्रिज में रखने के बाद उन टुकड़ों को ठिकाने लगा दिया. यह हत्या इसी साल 30 मई को हुई थी और उसका खुलासा 28 नवंबर को किया गया. आरोपी महिला का इल्जाम है कि उसका पति उसकी बेटी पर गलत नजर रखता था और बहु के साथ उसके अवैध संबंध थे. महिला और उसके बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पूछताछ में उसने बताया कि गुस्से में आकर उसने ऐसा कदम उठाया था.
उधर श्रद्धा हत्या कांड में गिरफ्तार आरोपी आफताब ने भी पूछताछ में कबूल किया है कि उसने क्षणिक आवेश में आकर श्रद्धा की हत्या की थी. पुलिस अभी उसका पॉलिग्राफ टेस्ट कर रही है.

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पागलपन का शिकार हो जाता है अपराधी 
ऐसे सभी केस में एक बात ये कॉमन है कि अपराध जुनून में आकर किया गया. जुनून यानी एक तरह का पागलपन. यानी अपराधी ऐसे मामलों में पागलपन की हद तक चला जाता है. इस तरह के केस में अपराधी किसी जंगली और खुंखर जानवर की तरह हिंसक हो जाता है. यहां इस तरह के सभी मामलों में एक बात और सामान्य है, और वह है कि हत्याएं प्रेम, असफल प्रेम, पीछे छुड़ाने या अवैध संबंधों के कारण हुई हैं. ऐसे मामलों में हाल के वर्षों में काफी इजाफा हुआ है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की माने तो, 2017 से 2021 तक मुल्कभर में प्रेम संबंधों या अवैध संबंधों के कारण होने वाली हत्याओं की तादाद 2,706 से बढ़कर 3,139 तक पहुंच गई है. ऐसी कुछ हत्याएं देशभर में चर्चा का विषय रही हैं, क्योंकि इनमें कई बड़े 

मानेकशॉ ने की थी पत्नी के अशिक की हत्या 
आजाद भारत में इस तरह का पहला चर्चित मामला 1959 में सामने आया था, जब नौसेना कमांडर कवास मानेकशॉ नानावती ने 27 अप्रैल, 1959 को अपनी पत्नी सिल्विया के आशिक प्रेम भगवान आहूजा की बॉम्बे के एक फ्लैट में हत्या कर दी थी. नानावती ने तीन गोलियां चलाकर आहूजा को मौत के घाट उतार दिया था. हत्या के बाद वह थाने पहुंचकर अपना जुर्म कबूल कर खुद को सरेंडर कर दिया था. उसे शुरू में एक जूरी ने आरोपों से बरी कर दिया था, जिसके फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. हालांकि 1960 में, नानावती को कसूरवार पाया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई. 1964 में, उसे तत्कालीन बॉम्बे गवर्नर और जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित द्वारा क्षमादान दे दिया गया था. 

देशभर को हिलाकर रख दिया था तंदूर हत्याकांड 
ऐसे ही एक चर्चित मामले में 1995 में तंदूर हत्याकांड में युवा कांग्रेस के तत्कालीन नेता सुशील शर्मा ने दिल्ली में अपनी दोस्त नैना साहनी को अवैध संबंधों की शक में गोली मार दी थी. उसने उसके जिस्म को टुकड़ों में काट दिया और फिर उन टुकड़ों को एक लोकप्रिय रेस्तरां की छत पर तंदूर में जलाकर नष्ट करने की कोशिश की. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. ऐसे ही एक मामले में उत्तर प्रदेश के लखनउ में 2003 में, एक उभरती हुई कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में राजनेता अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या की साजिश रची थी. इस केस में साजिशकर्ता और हत्यारे दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. 

नेवी अफसर ने दोस्त के मंगेतर की चाकुओं से गोदकर की थी हत्या  
ऐसी ही एक और घटना में 7 मई, 2008 को टीवी प्रोडक्शन फर्म सिनर्जी एडलैब्स के एक अधिकारी नीरज ग्रोवर की कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसाईराज के अपार्टमेंट में कथित तौर पर उनके मंगेतर एमिल जेरोम मैथ्यू ने चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी. मैथ्यू मुंबई में एक पूर्व-नौसेना अफसर था. जेरोम 7 मई को कोच्चि नौसैनिक अड्डे से विमान से मुंबई पहुंचा था. रात में वह मारिया के फ्लैट पर गया, जहां उसने एक आदमी को पाया. उसे देखकर उसने अपना आपा खो दिया और मारिया की रसोई से चाकू लेकर नीरज ग्रोवर की हत्या कर दी. हत्या के बाद दंपति ने लाश के टुकड़े कर दो थैलियों में भरकर ठाणे के जंगलों में ले जाकर जला दिया. इस मामले में मारिया को 3 साल की कैद की सजा हुई, जबकि जेरोम मैथ्यू को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई. इस मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने कहा था कि नीरज की हत्या सुनियोजित नहीं थी, गुस्से में जल्दबाजी में हो गई थी.
 


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