पटना में `सुल्तान पैलेस` को बचाने की मुहिम, कौन तोड़ना चाहता है इसे!
Sultan Palace: विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर `सुल्तान पैलेस` को बचाने की मुहिम जारी है. लोग सुल्तान पैलेस की ख़ूबसूरती की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं. क्या है पूरा मामला, पढ़िए इस ख़बर में.
World Tourism Day: बिहार की राजधानी पटना में पांच सितारा होटल बनाने के लिए तारीख़ी 'सुल्तान पैलेस' को ध्वस्त करने के रियासती सरकार के प्रस्ताव पर फिलहाल रोक लगाने के फैसले का लोगों ने स्वागत किया है. पटना उच्च न्यायालय के फैसले से ख़ुश विरासत से प्यार करने वाले लोगों ने 'विश्व पर्यटन दिवस' के मौक़े पर इस धरोहर को संरक्षित करने की हिमायत में ट्विटर पर मुहिम चलाई. पटना से लेकर कोलकाता तक के लोगों ने सुल्तान पैलेस की तस्वीरें शेयर कर 'लॉन्ग लिव सुल्तान पैलेस' हैशटैग के साथ ट्वीट किये और इसे पर्यटन स्थल के तौर पर संरक्षित करने की अपील की.
ट्विटर पर 'सुल्तान पैलेस' की तस्वीरें हो रही हैं शेयर
बिहार से ताल्लुक़ रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद के ज़रिए बनाए गए पैलेस के संरक्षण की हिमायत में ट्वीट करने वालों में सबसे आगे रहे. सुल्तान पैलेस की तस्वीरें शेयर करते हुए शकील अहमद ने ट्वीट किया, "1922 में निर्मित सुल्तान पैलेस पटना की एक प्रतिष्ठित इमारत और धरोहर प्रेमियों के लिए ख़ुशी का सबब है. नीतीश कुमार जी और तेजस्वी यादव जी से सुल्तान पैलेस को बचाने और पटना उच्च न्यायालय में बिहार सरकार के रुख पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेंगे".
'सुल्तान पैलेस पटना का गौरव'
ट्विटर पर कई लोगों ने सुल्तान पैलेस की सुंदरता को बयां करती तस्वीरों का 'कोलाज' भी शेयर किया. वहीं कई यूज़र्स ने पूछा, "कोई कैसे इतनी ख़ूबसूरत इमारत को गिराने के बारे में सोच भी सकता है".बिहार में आरा शहर के रहने वाले सत्यम ने ट्वीट किया, "सुल्तान पैलेस पटना का गौरव और भारत की वास्तविक विरासत है. विश्व पर्यटन दिवस पर, हम सरकार से इसे ध्वस्त करने और इसे एक होटल में बदलने के फैसले को वापस लेने की अपील करते हैं'.
बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद द्वारा बनाया गया था सुल्तान पैलेस
आर-ब्लॉक क्षेत्र के पास ऐतिहासिक गार्डिनर रोड (अब बीर चंद पटेल रोड) पर स्थित महल, पटना के मशहूर बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद द्वारा 1922 में बनाया गया था, जिन्होंने पटना उच्च न्यायालय में जस्टिस के तौर पर भी काम किया था. वहीं सर सुल्तान अहमद 1923-30 से पटना यूनिवर्सिटी के पहले भारतीय कुलपति के तौर पर भी ख़िदमात अंजाम दे चुके हैं.
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