नई दिल्लीः महाराष्ट्र में शिवसेना में बने दो गुटों में पार्टी की दावेदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि चुनाव आयोग को यह तय करना है कि असली शिवसेना कौन है, एकनाथ शिंदे समूह वाली या फिर उद्धव ठाकरे वाली? वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे समूह द्वारा असली शिवसेना होने के दावे पर फैसला करने इंकार कर दिया. 


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जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच शिवसेना में विवाद का फैसला करने के लिए चुनाव आयोग की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी. पीठ ने ठाकरे गुट द्वारा एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि चुनाव आयोग को मामले में तब तक आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि शीर्ष अदालत शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिका पर फैसला नहीं कर लेती है. 


पीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी. इस मामले में आयोग का फैसला माना जाएगा.“


ठाकरे गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ के सामने दलील दी कि शिंदे अयोग्य होने के बाद चुनाव आयोग का रुख नहीं कर सकते हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि  सिर्फ तथ्य का संदर्भ दिया गया है, यह किसी संवैधानिक निकाय को यह तय करने से नहीं रोकता है कि क्या उसके पास कानून के तहत फैसले लेने की शक्ति है. 
सिब्बल ने दलील दी कि शिंदे चुनाव आयोग में जाना चाहते हैं, और कहते हैं कि उनका गुट राजनीतिक दल है, लेकिन इससे बहुत पहले इन कार्यवाही में पार्टी की उनकी सदस्यता सवालों के घेरे में है, जिसका फैसला पहले किया जाना है. 


गौरतलब है कि ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे-गुट की याचिका पर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने की मांग की गई थी.


शिवसेना के दोनों समूहों ने SC के फैसले का स्वागत किया
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thakre) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले शिवसेना के दोनों धड़ों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें चुनाव आयोग को 'असली शिवसेना' पर फैसला करने की अनुमति दी गई थी.  अपनी पहली प्रतिक्रिया में, शिंदे ने कहा कि उन्होंने विनम्रतापूर्वक शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया और दोहराया कि उनका गुट "असली शिवसेना" है. "एक लोकतंत्र में, बहुमत मायने रखता है और हमारे पास विधानसभा में बहुमत है, अधिकांश सांसद हमारा समर्थन कर रहे हैं. देश में लिए गए सभी निर्णय संविधान, कानूनों और प्रक्रियाओं पर आधारित हैं. हमने किसी का भी अपमान करने के लिए कुछ नहीं किया है. कानून और हमने यह सरकार भी कानूनों के आधार पर बनाई है. हम इस फैसले की उम्मीद कर रहे थे." शिवसेना के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि "यह कोई राहत नहीं है" जैसा कि शिंदे समूह के नेताओं ने दावा किया है, जबकि सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि यह निर्णय कानूनी प्रक्रियाओं का हिस्सा है, और पूरे देश ने अदालत की कार्यवाही देखी है. "यह किसी भी पक्ष के लिए न तो सदमा है और न ही राहत। SC ने अब ECI से इस मामले में निर्णय लेने के लिए कहा है. 'देशद्रोहियों' को कोई जीत नहीं मिली है जैसा कि वे दावा कर रहे हैं. अब हम अपना मामला ECI के सामने पेश करेंगे. 


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