Uniform Civil Code: देश में लोकसभा चुनाव 2024 में होने वाला है. लेकिन इस चुनाव को लेकर देश की सियासी पारा अभी से चढ़ा हुआ है. एक तरफ विपक्षी दलों की महाबैठक हो रही है. वही सत्ता पक्ष जनता को अपने पक्ष में करने के लिए यूसीसी पर जोर दे रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने यूसीसी पर जोर दिया. जिसके बाद पुरे देश में सियासी संग्राम छिड़ गया है.  


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उच्च सरबाह सूत्रों ने बताया कि सरकार अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने पर एक विधेयक पेश कर सकती है. बता दें कि सूत्रों ने कहा कि विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जा सकता है जो समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों की राय सुनेगी.


यह कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर हितधारकों के विचार मांगने के लिए कानून पैनल द्वारा जारी हालिया नोटिस पर 3 जुलाई को कानून आयोग और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को बुलाए जाने के बाद आया है.


कानून और कार्मिक पर स्थायी समिति के कार्यक्रम के मुताबिक यह 14 जून, 2023 को भारत के विधि आयोग द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस पर कानून पैनल और कानून मंत्रालय के कानूनी मामलों और विधायी विभागों के प्रतिनिधियों के विचारों को सुनेगी. 'पर्सनल लॉ की समीक्षा' विषय के तहत समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों से विचार आमंत्रित किया जा रहा है''.


PTI ने सुत्रों के हवाले से बताया है कि मानसून सत्र जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू हो सकता है. पुराने संसद भवन में बैठक शुरू होगी और बीच में नई इमारत में कार्यवाही चलेगी.


जानकारी के बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने सभी समुदायों के लोगों के लिए समान कानूनों की जोरदार वकालत की और दावा किया कि संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी की वकालत की है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं.


पीएम मोदी के बयान से देश भर में बहस छिड़ गई क्योंकि कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि वह कई राज्यों में चुनाव नजदीक आने पर राजनीतिक लाभ के लिए यूसीसी मुद्दा उठा रहे हैं. कांग्रेस नेताओं ने पीएम मोदी पर महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर की स्थिति जैसी वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए यूसीसी मुद्दे का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.


समान नागरिक संहिता एक प्रस्ताव है जिसका उद्देश्य धर्मों, रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों को धर्म, जाति, पंथ, यौन अभिविन्यास और लिंग के बावजूद सभी के लिए एक समान कानून से बदलना है.


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