Bihar Politics: लोजपा (आर) चीफ और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने ऐसा बयान दिया है, जिससे जेडीयू और बीजेपी टेंशन में आ गई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान द्वारा स्थापित मिसाल को ध्यान में रखते हुए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे, बल्कि मंत्री पद छोड़ना पसंद करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं अपने पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने में संकोच नहीं करूंगा. उनके इस बयान से हलचल मच गई है. 


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LJP (R) के प्रमुख चिराग पासवान ने आज यानी 1 अक्तूबर की शाम पार्टी के SC/ST जनजाति प्रकोष्ठ के एक समारोह में यह टिप्पणी थी. जिसके बाद उन्होंने सफाई भी दी है. उन्होंने  कहा कि जब तक नरेन्द्र मोदी मेरे प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम NDA गठबंधन में रहेंगे. हालांकि, इस बयान के बाद राजनीतिक विश्लेषक इस बयान के कई मायने निकाल रहे हैं. 


चिराग ने दी सफाई
बयान देने के बाद सफाई देते हुए चिराग ने दावा किया कि वह कांग्रेस अगुआई वाली INDIA गठबंधन के बारे में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि मेरे पिता भी UPA में मंत्री थे और उस समय बहुत सी ऐसी चीजें हुईं जो दलितों के हितों में नहीं थी. यहां तक ​​कि बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीरें भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नहीं लगाई जाती थीं. इसलिए हमने अपने रास्ते अलग कर लिए.


मोदी सरकार से इन मुद्दों पर खुलकर कर चुके हैं बगावत
इससे पहले भी चिराग पासवान केंद्र सरकार के फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. जिसके बाद केंद्र सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. नौकरशाही में 'क्रीमी लेयर' और 'लैटरल एंट्री' (सीधी भर्ती) के मुद्दे पर वे विपक्ष के साथ खड़े रहे. 'क्रीमी लेयर' पर सरकार को अपना रुख साफ करना पड़ा था और 'लैटरल एंट्री' (सीधी भर्ती) पर सरकार ने रोक लगा दी थी


चिराग पासवान के बयान के हैं कई मायने
वहीं, बिहार के पॉलिटिक्स पर मजबूत पकड़ रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक शम्स अजीज का कहना है कि बिहार में NDA गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यही वजह है कि चिराग पासवान इस तरह का बयान दे रहे हैं. दरअसल, भाजपा लोजपा प्रमुख पशुपति पारस के बेटे प्रिंस पासवान को नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहती है और पशुपति पारस की पार्टी को एनडीए गठबंधन में शामिल कर 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है. इसी बात से चिराग पासवान नाराज चल रहे हैं.


टूट गई पार्टी
उन्होंने कहा कि पूर्व लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के निधन के बाद पशुपति पारस ने चिराग की पार्टी को तोड़ दिया था. जिसके चलते चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए थे. हालांकि बीजेपी ने पशुपति पारस को लोकसभा चुनाव में गठबंधन का वादा किया था, लेकिन चिराग पासवान के दबाव में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई और विधानसभा चुनाव के लिए डील कर दी गई. जिसके बाद पशुपति पारस की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया.