Atiq Ashraf UP Assembly: यूपी असेंबली के स्पीकर सतीश महाना ने कहा है कि गैंगस्टर से नेता बने पूर्व सांसद और पूर्व एमएलए अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ को असेंबली के अगले सत्र में श्रद्धांजलि देने के मामले पर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी गौर करेगी. असेंबली की रिवायत रही है कि हर सेशन की शुरुआत के बाद में दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि पेश की जाती है. हालांकि, पूर्व एमएलए और पूर्व एमपी अतीक अहमद को अपहरण के एक मामले में कुसूरवार ठहराया गया था. यूपी में विधानमंडल के दोनों सेशन में मानसून सत्र की शुरुआत होगी लेकिन अभी इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है.


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15 अप्रैल को हुई अतीक-अशरफ की हत्या
बता दें कि अतीक अहमद इलाहाबाद वेस्ट असेंबली क्षेत्र से पांच बार एमएलए और 2004 से 2009 तक एक बार फूलपुर से लोकसभा मेंबर चुना गया. वह इलाहाबाद वेस्ट से तीन बार आजाद एमएलए था. साल 1996 में वह एसपी के टिकट पर चुना गया, जबकि 2002 में उसने अपना दल के टिकट पर सीट बरकरार रखी. बहुजन समाज पार्टी के उस समय के एमएलए राजू पाल के कत्ल के बाद अतीक के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ 2005 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर उसी सीट से एमएलए बना था.प्रयागराज में 15 अप्रैल की रात को जब पुलिसकर्मी अतीक को मेडिकल जांच के लिए लेकर जा रहे थे, तब रिपोर्टर बनकर आए तीन लोगों ने अतीक और उसके भाई अशरफ को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था.



श्रद्धांजलि देने पर हो रहा विचार
यह पूछे जाने पर कि क्या अतीक और उसके भाई अशरफ को श्रद्धांजलि दी जाएगी, महाना ने कहा कि मामले का फैसला सदन की कार्य मंत्रणा समिति करेगी. संवैधानिक मामले को जानकार और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप ने कहा कि इस मामले पर स्पीकर को ही फैसला करना है.  लोकसभा की पूर्व महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने न्यूज एजेंसी को बताया कि "पूर्व सांसदों और सांसदों में किसी की मौत की कोई सूचना मिलती है, तो सदन में, सेशन में या अगले सेशन में, एक शोक सभा का आयोजन किया जाता है. उन्होंने कहा, ''मेरे सामने ऐसा कोई मामला नहीं आया है कि अगर किसी सांसद या पूर्व सांसद जिसे सजा सुनायी गई हो और उसे श्रद्धांजलि दी गई हो.


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