Madarsa Board Exam 2023: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड मदरसों के बजाय इंटरमीडिएट कॉलेजों को एग्जाम सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने पर गौर कर रहा है. अफसरों ने कहा कि इस संबंध में आखिरी फैसला जुलाई में होने वाली बोर्ड की मीटिंग में लिया जाएगा. मदरसा बोर्ड के सदस्य कमर अली और परीक्षा नियंत्रण कक्ष (लखनऊ में स्थापित) के इंचार्ज ने न्यूज एजेंसी को बताया,"अगले सेशन से, बोर्ड मदरसों के बजाय सरकारी इंटरमीडिएट कॉलेजों को एग्जाम सेंटर बनाने पर गौर कर रहा है. इस संबंध में आखिरी फैसला जुलाई में होने वाली बोर्ड की मीटिंग में लिया जाएगा."


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उन्होंने कहा कि अब तक मदरसा बोर्ड के एग्जाम मदरसों में ही होते थे. "हालांकि, यह देखा गया कि इंटरनेट कनेक्टिविटी और अन्य व्यावहारिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा, मदरसों के प्रिंसिपल और मैनेजरों ने संसाधन की कमी का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की. इंटरमीडिएट के कॉलेज एग्जाम नहीं होने का रास्ता नहीं अपना सकते." इससे नकल मुक्त परीक्षा कराने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मकसद की भी पूर्ति होगी.


अली ने कहा कि अगले साल से जिले के सभी एग्जाम सेंटर्स को अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की निगरानी वाले कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा. ये कंट्रोल रूम मदरसा बोर्ड के कंट्रोल रूम से जुड़े होंगे और किसी तरह की गड़बड़ी होने पर अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाएगा.


उन्होंने कहा, "इस वक्त 539 एग्जाम सेंटर हैं जहां मदरसा बोर्ड के एग्जाम होते हैं. एक ही वक्त में सभी सेंटर्स पर एग्जाम की निगरानी मुमकिन नहीं है और अगले साल से इसे मंडलवार आयोजित किया जाएगा. इससे विसंगतियों की आसानी से पहचान करने में मदद मिलेगी."


उन्होंने कहा कि सोमवार को लखनऊ, कन्नौज, अलीगढ़, आजमगढ़, मऊ और अंबेडकर नगर में हुई परीक्षाओं के दौरान कुछ कमियां पाई गईं, क्योंकि परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी और ड्यूटी पर तैनात लोग कथित तौर पर ड्यूटी से गायब थे. राज्य में 16,531 मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं. इनमें से 558 सरकारी सहायता प्राप्त हैं.


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