मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा; 36 साल पुराने केस में MP-MLA कोर्ट ने सुनाई सजा
Mukhtar Ansari gets lifeterm: डीएम और एसपी का फर्जी दस्तखत कर आर्म्स का लाइसेंस हासिल करने के इल्जाम में बाहुबली नेता और पांच बार के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है.
Mukhtar Ansari gets lifeterm: उत्तर प्रदेश के पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को बुधवार को वाराणसी की एक एमपी-एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उनपर दो लाख का जुर्माना भी लगाया है. इससे पहले इसी अदालत ने ही 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अंसारी को 36 साल पुराने बंदूक के एक फर्जी लाइसेंस मामले में ये सजा सुनाई गई है. अंसारी इस वक्त यूपी के बांदा कारागार में बंद है. वह पहले से ही एक मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं. कुल मिलाकर उन्हें 7 मामलों में सजा मिल चुकी है. वहीं, अंसारी को धोखाधड़ी के कई ममालों में कोर्ट द्वारा बरी भी किया जा चुका है.
गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी पर डीएम और एसपी का फर्जी दस्तखत कर लाइसेंस हासिल करने का इल्जाम था. बुधवार को बांदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्तार अंसारी की कोर्ट में पेशी हुई थी. मंगलवार को ही कोर्ट ने सजा तय कर दिया था.. बुधवार को बस सजा का ऐलान किया गया है.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को एक दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के डीएम के यहां दरख्वास्त दी थी. लेकिन इलज़ाम है कि गाजीपुर के उस वक़्त के डीएम और SP की इज़ाज़त के बिना उन दोनों के फर्जी दस्तखत के जरिये उसने बन्दूक का लाइसेंस हासिल किया था. मामला खुलने के बाद सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच अफराद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
मुख्तार के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने बताया लो घटना के वक़्त अंसारी की उम्र सिर्फ 20 से 22 साल थी. उसका पहले से कोई आपराधिक इतिहास नहीं था\. वकील ने कहा कि मुख्तार उस वक़्त जनप्रतिनिधि भी नहीं थे. बन्दूक खरीदने का कोई सबूत भी नहीं है. भ्रष्टाचार के इल्जामों से बरी हो गए हैं, ऐसे में इस अदालत को दोषी पाए गए धाराओं में सजा सुनाने का हक़ नहीं है.
वहीँ, अभियोजन पक्ष की तरफ से कहा गया कि प्रभाव का इस्तेमाल किया गया, जो समाज विरोधी अपराध है. अंसारी के खिलाफ सात मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें उम्रकैद भी शामिल है. 20 मामले अभी लंबित हैं, ऐसे में उसे अधिकतम सजा दी जाए.
गौरतलब है कि मऊ सदर सीट से पांच बार के विधायक रहे मुख्तार अंसारी ने 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था. यह सीट उसके बेटे अब्बास अंसारी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर जीती थी, जिसने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, पंजाब, नई दिल्ली और अन्य राज्यों में लगभग 60 मामले लंबित हैं. सिर्फ उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी के खिलाफ ग़ाज़ीपुर, वाराणसी, चंदौली, सोनभद्र, आगरा, लखनऊ, बाराबंकी, मऊ, आजमगढ़ और दीगर जिलों में कई मामले दर्ज हैं. अंसारी को अब तक कम से कम आठ मामलों में कसूरवार ठहराया जा चुका है.