UP Politics: सपा नेता  पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है, अब सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका लगा है. कोर्ट ने एक पुराने मामले में पूर्व विधायक की अंतरिम सजा पर रोक लगान से मना कर दिया. जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने समाजवादी पार्टी नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया.


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सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि अदालत किशोरावस्था पर रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, "हमें इस स्तर पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने का कोई कारण नहीं मिलता है. पहले के आदेश के अनुसार, मुख्य मामला किशोरावस्था पर रिपोर्ट के बाद पोस्ट करें".


गौरतलब है कि, अब्दुल्ला आजम को इस साल फरवरी में विधायक के पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इस मामले में कुछ दिनों बाद उन्हें मुरादाबाद की एक कोर्ट ने दोषी ठहराया और दो साल जेल की सजा सुनाई. इसी साल के अप्रैल में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी थी.


कपिल सिब्बल ने क्या कहा था?
पूर्व विधायक की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने पहले सर्वोच्च न्यायलय के सामने पेश हुए थे. तब उनका मुवक्किल किशोर था और कहा था कि मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए थी न कि किसी रेगुलर कोर्ट के द्वारा.


इस मामले में हैं दोषी
सर्वोच्च न्यायलय ने सितंबर में मुरादाबाद जिला कोर्ट को 2008 के एक आपराधिक मामले में अब्दुल्ला आजम खान द्वारा किए गए किशोर होने के दावे का पता लगाने का हुक्म दिया था. सपा नेता व पूर्व मंत्री आजम खान और उनके बेटे को 2008 में दर्ज 15 साल पुराने आपराधिक मामले में मुजरिम ठहराया गया था.


अब्दुल्ला के अयोग्य होने के बाद स्‍वार विधानसभा सीट पर फिर से उपचुनाव कराया गया जिसमें इस सीट से  अपना दल के शफीक अहमद अंसारी ने जीत हासिल की.