नोएडाः उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा शहर में एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने सोसायटी में रहने वाले सभी कुंवारे किराएदारों से 31 दिसंबर तक मकान खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है. हालांकि, संघ के इस फैसले का न सिर्फ किराएदार, बल्कि मकान मालिक भी मुखालफत कर रहे हैं. वहीं, 15 नवंबर को एक ईमेल से भेजे गए इस नोटिस की वजह से लड़कियों को हो रही परेशानी पर उत्तर प्रदेश महिला आयोग की चेयरमैन विमला बाथम ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए इस मामले में दखल दिया है. 

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महिला आयोग ने दिया मामले में दखल 
बाथम ने कहा, ’’इस तरह के फरमान से वहां रहने वाली लड़के और लड़कियों को काफी परेशानी होगी. एओए के पदाधिकारियों से बात कर इस मामले का समाधान किया जाएगा. अचानक मकान खाली करने का नोटिस देने के बाद लड़कियां कहां जाएंगी. मामला काफी संवेदनशील है, इस पर गंभीरता से दोनों पक्षों को विचार करना चाहिए.’’ 

वे नियमों का उल्लंघन करते हैंः ओनर्स एसोसिएशन 
गौरतलब है कि सोसाइटी के ओनर्स एसोसिएशन के सद्र उदयभान सिंह तेवतिया द्वारा 15 नवंबर को ईमेल पर एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि सोसाइटी में किराए पर रहने वाले कुंवारे युवक और युवतियां नियमों का उल्लंघन करते हैं, इसलिए पेइंग गेस्ट और छात्र-छात्राएं 31 दिसंबर तक सोसाइटी खाली कऱ दें. 
तेवतिया ने कहा, ‘‘लड़के और लड़कियां सामूहिक रूप से फ्लैट में रहती हैं. वे नियमों का उल्लंघन करती हैं. उन मकानों से अनैतिक गतिविधियों का भी संचालन किया जाता है, जिसका समाज पर बहुत ही खराब असर पड़ रहा है. इसलिए नोटिस जारी कर उन्हें 31 दिसंबर तक सोसाइटी छोड़ने का आदेश दिया गया है.’’ 


छात्रों की ये है शिकायत 
वहीं, सोसाइटी में किराए पर रहने वाली छात्रा प्रिया रॉय ने बताया कि यहां के करीब 10 फ्लैट में 30 छात्राओं सहित करीब 40 स्टूडेंट्स रह रहे हैं, जो विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में पढ़ते हैं. सोसाइटी में किराए पर रहने वाले छात्र- छात्राओं का इल्जाम है कि उनके महमानों के आने पर सुरक्षाकर्मी उन्हें सोसाइटी में आने से रोक देते हैं. उनका कहना है कि वजह पूछने पर बोला जाता है कि बाहरी शख्स का सोसाइटी में आना मना है. उनका इल्जाम है कि कई बार छात्र-छात्राओं के गार्जियन को भी फ्लैट में आने से रोक दिया जाता है, और इस संबंध में शिकायत करने पर ओनर्स एसोसिएशन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. 


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