नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को रियल एस्टेट व्यापारी सुशील और गोपाल अंसल को उपहार सिनेमा हॉल अग्नि कांड में सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में जेल में बिताई गई अवधि की बुनियाद पर उन्हें जेल से रिहा करने का हुक्म दिया है. 
उल्लेखनीय है कि साल 1997 में उपहार सिनेमा हॉल में आग लगने से 59 अफराद की मौत हो गई थी. एक अदालत ने आठ नवंबर को असंल बंधुओं को सात साल की सजा सुनाई थी और तभी से वे दोनों जेल में थे. हालांकि, जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने पूर्व में मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा अंसल भाईयों पर लगाए गए 2.25 करोड़ रुपये के जुर्माने को बरकरार रखा है. न्यायाधीश ने उपहार त्रासदी के पीड़ितों के संगठन की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति से कहा, ‘‘हम आपके साथ हमदर्दी रखते हैं. इस दुर्घटना में कई लोगों की जान चली गई, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती. लेकिन, आपको यह समझना चाहिए कि दंड नीति बदला नहीं लेती है. हमें उनकी (अंसल बंधुओं) की उम्र पर विचार करना होगा. आपने नुकसान झेला है, लेकिन उन्होंने भी नुकसान सहा है.’’ 

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"यह फैसला ‘नाइंसाफी’ है’’  
अदालत ने सोमवार को असंल बंधुओं और दो दीगर लोगों द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा उनकी दोषसिद्धि को चुनौती दी गई थी. फैसला सुनाए जाने के बाद, कृष्णमूर्ति ने जस्टिस से कहा कि यह फैसला ‘नाइंसाफी’ है और उनका न्यायपालिका से विश्वास उठ गया है. इस मामले में पहली बार 20 जुलाई 2002 को सबूतों से छेड़छाड़ का पता चला था, और दिनेश चंद शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी. उसे निलंबित कर दिया गया और 25 जून, 2004 से उसकी सेवा खत्म कर दी गई थी. 
गौरतलब है कि उपहार सिनेमा में 13 जून, 1997 को फिल्म ‘बॉर्डर’ के प्रदर्शन के दौरान आग लग गई थी, जिसमें 59 लोगों की जान चली गई थी.


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