केवल छोटे मूल्य के ट्रांजेक्शनस के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) भुगतान का उपयोग करने के दिन अब चले गए हैं. यूपीआई भुगतान के स्कोप को और बड़ा बनाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 दिसंबर, 2023 को अस्पतालों और  एजुकेशन संस्थानों के लिए यूपीआई भुगतान की ट्रांसेक्शनस सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया. इससे पहले ट्रांसेक्शनस की सीमा 1 लाख रुपये निर्धारित की गई थी.


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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मोनेट्री पालिसी कमिटी (एमपीसी) के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा, "यूपीआई ट्रांसेक्शनस की विभिन्न श्रेणियों की लिमिट को  समय-समय पर रिव्यु किया गया है." अस्पतालों और एडुकेशन संस्थानों को भुगतान के लिए यूपीआई ट्रांसेक्शनस की लिमिट अब 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रति ट्रांसेक्शनस करने का प्रस्ताव है.


आपको बता दें कि कुछ श्रेणियों को छोड़कर, UPI के ट्रांसेक्शनस की लिमिट 1 लाख रुपये प्रति ट्रांसेक्शनस तय की गई थी. कैपिटल मार्किट जैसे एएमसी, ब्रोकिंग, म्यूचुअल फंड  के अलावा  क्रेडिट कार्ड भुगतान, लोन का  पुनर्भुगतान, ईएमआई, बीमा आदि के लिए यूपीआई ट्रांसेक्शनस की लिमिट 2 लाख रुपये तक सीमित थी. दिसंबर 2021 में रिटेल डायरेक्ट स्कीम और आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए यूपीआई ट्रांसेक्शनस की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था, बढ़ी हुई यूपीआई लिमिट की घोषणा को एक सकारात्मक कदम के तरह से देखा जा रहा है, जो वित्तीय लेनदेन की गतिशीलता में बदलाव का संकेत देती है. 


एफआईएस, भारत के बैंकिंग प्रमुख हरीश प्रसाद कहते हैं अस्पतालों और  एजुकेशन संस्थानों के लिए यूपीआई भुगतान के लिए प्रति ट्रांसेक्शनस की लिमिट को 5 लाख रुपये तक बढ़ाने की घोषणा ऐसे उसे आईपीओ में वित्तीय निवेश के समान ब्रैकेट में रखती है जो वर्तमान में उच्च लिमिट के लिए योग्य है. यह यूपीआई के इस्तेमाल को उच्च-मूल्य शुल्क और चिकित्सा भुगतान की एक विस्तृत श्रृंखला तक विस्तारित करता है,  जहां बड़ी मात्रा वर्तमान में 1 लाख रुपये की सीमा से अधिक है. इससे डेबिट कार्ड के उपयोग पर और भी अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो पहले आमतौर पर ऐसे लेनदेन के लिए उपयोग किया जाता था.