जिस जज ने मुस्लिम नेम प्लेट के आदेश पर लगाई रोक, वो खुद मुस्लिम होटल में खाते थे खाना
सुप्रीम कोर्ट ने आज कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर दुकानों में नेम प्लेट लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के फरमान पर अंतरिम तौर पर रोक लगा दी है. जब इस केस में बहस हो रही थी तभी बेंच में शामिल एक जस्टिस एस. वी. एन. भट्टी ने कहा कि जब वो केरल में थे, तब मुस्लिमों द्वारा चलाए जा रहे शाकाहारी होटलों में जाते थे, क्योंकि वहां मानकों का पालन किया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले मुस्लिम होटल और ठेले वालों को नाम प्रदर्शित करने वाली उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के आदेश पर सोमवार को अंतरिम तौर पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर शुक्रवार को इस मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. बेंच ने अपने फैसले में कहा, "खाद्य विक्रेताओं को यह प्रदर्शित करने के लिए कहा जा सकता है कि उसके पास कौन से खाद्य पदार्थ हैं, लेकिन उन्हें मालिकों, स्टाफ कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए."
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. सुवाई के दौरान होटलों में साफ़- सफाई की वकालत करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एसवीएन भट्टी ने कहा, "वह केरल में तैनाती के दौरान खुद एक मुस्लिम द्वारा चलाए जा रहे शाकाहारी रेस्तरां में बार-बार खाना खाने जाते थे, क्योंकि उस वक़्त वो होटल अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रखता था." न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी ने कहा, मैं खुलकर नहीं बता सकता, क्योंकि मैं इस अदालत का वर्तमान न्यायाधीश हूं. शहर के नाम का खुलासा किए बिना, वहां एक हिंदू द्वारा संचालित शाकाहारी होटल भी था, और एक शाकाहारी होटल भी था जिसे एक मुस्लिम चलाता है."
जस्टिस एस. वी. एन. भट्टी ने कहा कि वह कारोबारी दुबई से लौटा था. वह अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रख रहा था. साथ ही सुरक्षा, साफ़- सफ़ाई का भी बेहद ख्याल करता था. इसलिए उस होटल में जाना मैं पसंद करता था.
जस्टिस के जवाब में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा, "आपने मेन्यू कार्ड को चुना, नाम को नहीं."
सुप्रीम कोर्ट निर्देशों को चुनौती देने वाली सांसद महुआ मोइत्रा, शिक्षाविद् अपूर्वानंद झा और स्तंभकार आकार पटेल और एनजीओ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.