UP के स्कूल में सर्वधर्म सांस्कृतिक प्रोग्राम में नमाज के प्रदर्शन पर विवाद; बलि का बकरा बना शिक्षक
यह मामला उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले का है. यहां एक निजी स्कूल में सांस्कृति प्रोग्राम के आयोजन के दौरान नमाज का अभिनय करने पर दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध में हनुमान चालीसा का पाठ किया था.
हाथरसः उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक निजी स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान नमाज अदा करने का अभिनय करने को लेकर विवाद पैदा हो गया है. इसके विरोध में दक्षिण पंथी संगठनों के सदस्यों ने स्कूल के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ किया है और आंदोलन की धमकी भी दी है. इस मामले में विवाद बढ़ने पर स्कूल प्रबंधन ने स्कूल के प्रधानाध्यापक सहित दो शिक्षकों को निलंबित कर दिया है, और प्रशासन ने घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय कमिटी का गठन किया है.
हाथरस की जिलाधिकारी अर्चना वर्मा ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो तेजी से वायरल किया गया था, जिसमें एक निजी स्कूल परिसर में नमाज पढ़ते हुए बच्चों को दिखाया गया था. हालांकि ये वीडियो तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह फेक था. यह वीडियो एक सर्वधर्म कार्यक्रम की तैयारी का हिस्सा था, जिसमें प्रतिभागियों ने विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की भूमिका निभाई थी. वर्मा ने कहा कि इस घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया गया है.
डीएम ने बताया कि उपमंडलीय मजिस्ट्रेट (शहरी) के नेतृत्व में जांच टीम को पांच दिनों में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जिला प्रशासन घटना के वीडियो को प्रसारित करने की कोशिश करेगा ताकि हर कोई सच्चाई देख सके.
दक्षिणपंथी कार्यकर्ता व्यास देवकी नंदन नाम के एक शख्स ने इस घटना पर आंदोलन शुरू करने की धमकी दी है, जिसके बारे में डीएम वर्मा ने कहा कि उन्हें वीडियो की हकीकत के बारे में सूचित किया गया है.
स्कूल प्रबंधन के मुताबिक, स्कूल परिसर में नमाज अदा नहीं की गई, लेकिन मोहम्मद इकबाल की उर्दू कविता “लब पे आती है दुआ बनके" पर एक प्रदर्शन हुआ था. इकबाल प्रसिद्ध गीत “सारे जहां से अच्छा“ के लेखक हैं.
गौरतलब है कि यह कोई पहला मामला नहीं है कि जब किसी स्कूल में मुस्लिम कल्चर के प्रदर्शन को लेकर स्कूल का निशाना बनाया गया है और स्कूल प्रबंधन जबरन दबाव में आकर शिक्षकों को मुअत्तल कर दिया है. इससे पहले भी यूपी के कई सरकारी और निजी स्कूलों में इस तरह के विवाद सामने आ चुके हैं, जहां मुस्लिम शिक्षक, उर्दू नज्म और यहां तक कि उर्दू के शब्दों के लिए भी जबरन विवाद खड़ा किया गया है.
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