Varanasi News: वाराणसी नगर निगम ने कांवड़ यात्रा के रूट पर मांस की दुकानें बंद करने का आदेश दिया है. इस आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के चीफ मोहम्मद सुहैल ने याचिका दायर किया है. दायर याचिका में दलील दी गई है कि उक्त आदेश न सिर्फ कोई भी व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की मौलिक स्वतंत्रता, बल्कि सम्मान और निजी स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने के मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

याचिका में क्या दी गई है दलील
याचिकाकर्ता के मुताबिक, सावन में कांवड़ की प्रथा युगों से जारी है और इस दौरान मांस की दुकानें हमेशा खुली रही हैं, इसलिए इस तरह का आदेश पारित कर अधिकारी पहचान के आधार पर बहिष्कार करने की कोशिश हो रही है. याचिकाकर्ता ने यह दलील भी दी कि अधिकारियों ने यह तथ्य ध्यान दिए बिना आदेश पारित किया कि इससे दुकानदारों की आजीविका प्रभावित होगी, क्योंकि इन दुकानों से आय ही उनकी आजीविका का साधन है.


मौलिक अधिकारों का है हनन
इस याचिका में कहा गया, "इस तरह के फैसले से व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन होता है, क्योंकि यह मांस का उपभोग करने के इच्छुक उन व्यक्तियों को मांस खाने से रोकता है, जिन्हें चिकित्सक ने मांस या मांसाहारी भोजन लेने की सलाह दी है. जराए के मुताबिक, नगर निगम ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि यह फैसला, इसलिए लिया गया, ताकि कांवड़ियों को अपनी यात्रा के दौरान किसी मुद्दे का सामना न करना पड़े. कांवड़ यात्रा मार्ग पर मांस की 96 दुकानें हैं.


नेमप्लेट को लेकर मचा था हंगामा
गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा वाले रूठ पर दुकानदारों से अपनी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था, जिसके बाद पूरे देश में हंगामा मच गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी. इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तराखंड, यूपी और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था. बीजेपी के इस फैसले से भाजपा के सहयोगी दलों ने इस फैसले की आलोचना की थी. जिसमें जदयू, आरएलडी समेत कई अहम सहयोगी दलों ने इस पर नाराजगी जाहिर की थी.