कानुपर: 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई जंग के दौरान खतरनाक पैटन टैंक तबाह करने वाले वीर अब्दुल हमीद के बेटे अली हसन की जुमे के रोज़ मौत हो गयी, जिनका इलाज कानपुर के एक अस्पताल में चल रहा था. अली हसन के अहलेखाना ने इल्ज़ाम लगाया है कि उनकी जान लापरवाही की वजह से गयी.


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अहलेखाना का आरोप है कि लाला लाजपत राय अस्पताल के अधिकारियों ने अली हसन की कोविड-19 की जांच कराने की जहमत तक नहीं उठाई. जिससे पता लग पाता कि वह संक्रमित थे या नहीं. हसन के बेटे सलीम ने दावा किया कि उनके वालिद की मौत अस्पताल के डॉक्टरों और अस्पताल के मुलाज़िमों की लापरवाही की वजह से हुई है.


सलीम ने इस सिलसिले में सहाफियों से बात की और कहा कि उनके वालिद पिछले कई दिनों से बीमार थे और उन्हें बुध के रोज़ लाला लाजपत राय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तभी से अली हसन को ऑक्सीजन पर रखा गया लेकिन चार घंटे बाद उनकी सेहत को ठीक बताते हुए ऑक्सीजन हटा ली गई. यहां तक कि बाद में अली हसन पर किसी ने कोई तवज्जो नहीं दी. हालांकि इस मामले में अभी अस्पताल की जानिब से कोई बयान नहीं आया है. 


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