जम्मू-कश्मीरः दिव्यांग लोगों के प्रति लोगों को जागरुक करने और उनके लिए भी इस दुनिया को बेहतर बनाने का संदेश लेकर ईरान की एक दृष्टिबाधित महिला विश्व यात्रा पर निकली है. हाल ही में पाकिस्तान से होते हुए वह भारत पहुंची है.  
दिसंबर 2021 में आर्मेनिया से अपनी यात्रा शुरू करने वाली दरिया नाम की इस महिला ने बताया कि वह दुनिया को यह साबित करना और दिखाना चाहती हैं कि किसी के सपनों को पूरा करने में विकलांगता कोई बाधा नहीं है. 


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दरिया, का असली नाम मुनीरा सआदत हुसैन है. उन्होंने कहा,  “मेरा मानना है कि विकलांगता एक विशेष क्षमता है, भगवान का एक दिया हुआ उपहार है. दुनिया को हमारी विशेष क्षमता का पता लगाना चाहिए ताकि हम इस दुनिया की बेहतरी के लिए अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम तरीके से इस्तेमाल कर सकें." 
दरिया, एक उर्दू शब्द है जिसका मतलब है नदी और उसका चरित्र स्वतंत्र रूप से बहना होता है. दरिया ने बताया कि वह मध्य ईरान के अपने शहर इस्फ़हान में पाँच साल तक स्वतंत्र रूप से रही, जहाँ वह एक भाषा शिक्षक, अनुवादक और प्रेरक परामर्शदाता के रूप में काम करती थी.


दरिया ने कहा, "मैं विश्व विकलांगता दिवस पर एक कार्यक्रम सुन रही थी, तभी मेरे दिमाग में विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए कुछ करने का ख्याल आया था. मैंने अपना बैग पैक किया, अपने माता-पिता को अपने फैसले से हैरान कर दिया और आर्मेनिया से अपनी एकल यात्रा शुरू कर दी.’’ 


दरिया ने कहा, “लोग सोचते हैं कि हम विकलांग हैं, हमें हर चीज में हमारी मदद करने के लिए किसी की जरूरत है. मैं इसे गलत साबित करने की कोशिश कर रही हूं. अगर मैं गिर गई, तो सभी को चिंता है कि ओह दरिया गिर गई है. लेकिन यह सामान्य है. गिरना और फिर उठना बहुत सामान्य प्रकिया है.’’ 


दरिया ने कहा, "यात्रा का मतलब सिर्फ नई जगहों की खोज करना नहीं है, बल्कि नए लोगों से मिलना और उनके अनुभवों से सीखना भी है. हर किसी के पास बताने के लिए एक कहानी होती है, और इन कहानियों को सुनकर हम अपने आसपास की दुनिया की गहरी समझ हासिल कर सकते हैं." उन्होंने कहा कि वह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में युद्धों और अन्य संघर्षों में मानव जीवन के नुकसान से दुखी हैं. लोगों के लिए एक-दूसरे से नफरत करने का कोई कारण नहीं होना चाहिए और इससे यह दुनिया रहने के लिए एक बेहतर जगह बन जाएगी.’’


दरिया ने कहा, “मैं इराक, तुर्की और पाकिस्तान सहित कई देशों में गई हूं. मैंने देखा कि ये सभी देश सुरक्षित हैं, और उनके लोग बेहद मेहमाननवाज और आश्चर्यजनक रूप से दयालु हैं." उसने कहा कि उसे पूरे महीने पाकिस्तान में रहने के लिए अपनी जेब से एक पैसा नहीं देना पड़ा, क्योंकि लोगों ने उसे कुछ भी भुगतान नहीं करने दिया. उन्होंने कहा कि सभी के लिए उनका संदेश है, मानवता और दया को कभी मत भूलना. हम एक परिवार की तरह रहना चाहिए. ’’ 

दरिया ने कहा, "अब, मैं 13 फरवरी को सीमा पार करने के बाद भारत में हूं और उम्मीद करती हूं कि पाकिस्तान में लोगों ने देश और इसके लोगों के बारे में जिस तरह का आतिथ्य किया है, वैसा ही महमाननवाजी भारत में भी मिलेगी.’’ दरिया ने कहा कि उनका अगला पड़ाव कश्मीर है, जो उनका 'ड्रीम डेस्टिनेशन’ है. उन्होंने कहा, "मैं डल झील में जीवन, कश्मीर की परंपरा, संस्कृति और व्यंजन और उसके आतिथ्य को महसूस करना चाहती हूं."
 
 यात्राओं के अलावा, दरिया को नई भाषाएँ सीखने का भी शौक है, क्योंकि उनका मानना है कि भाषाएं विभिन्न संस्कृतियों   को समझने और दुनिया भर के लोगों के साथ सार्थक संबंध बनाने के लिए बेहद जरूरी है. 


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