Watermelon Seller Woman Honesty: आज के दौर में इंसान पैसे के पीछे इतना पागल हो गया है कि उसे सिवाय पैसे के कोई दूसरी चीज नजर ही नहीं आती. आज का इंसान पैसों के पीछे पागल हो चुका है. लेकिन बावजूद इसके अभी भी कुछ ऐसे लोग इस दुनिया में हैं, जो अपनी ईमानदारी का सौदा नहीं करते. ऐसी ही एक मिसाल एमपी के नर्मदापुरम की रहने वाली महिला ने पेश की है. दरअसल, इस महिला ने ईमानदारी की मिसाल पेश करते सड़क पर मिले हुए रुपए पुलिस थाने में जमा किए. जानकारी के मुताबिक  नर्मदापुरम में तवा पुल के पास तरबूज की दुकान लगाने वाली एक महिला ने ईमानदारी की मिसाल पेश की है.


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17 हजार 500 रुपये थाने में कराए जमा
ममता केवट नाम की महिला को उसकी दुकान के पास 17 हजार 500 रुपये लावारिस हालत में पड़े मिले. एक साथ इतने रुपए मिलने के बाद भी गरीब महिला का ईमान नहीं डगमगाया और वो अपने पति के साथ उस रकम को लेकर थाने पहुंच गई. देहात थाने पहुंचकर महिला ने मिले हुए पैसों को पुलिस के पास जमा करा दिया. ताकि ये रकम उसके असल मालिक तक पहुंच सके. इस तरह की खबर समाज को सुकून पहुंचाने का काम करती है. जब हम सोच रहे होते हैं कि आज ईमानदारी नहीं बची है. इस बीच ऐसी खबर आना सच में किसी बड़ी राहत से कम नहीं हैं.


 


महिला की हो रही तारीफ
तवा पुल पर तरबूज की दुकान लगाने वाली ममता केवट का ईमान हजारों की रकम देखकर भी नहीं डोला. महिला को रुपये मिलने पर आसपास के दुकानदार झूठ बोलकर महिला से रुपये मांगने लगे. लेकिन उस महिला ने पैसों को उन्हें देने की वजह पुलिस थाने में जमा कराना बेहतर समझा. इस खबर के सामने आने के बाद ममता की ईमानदारी की चारों तरफ चर्चा हो रही है. लेकिन ये पहला मौका नहीं हैं. इससे पहले भी ऐसे कई वाक्यात सामने आ चुके हैं जो ये बताने के लिए काफी हैं कि, अभी ईमानदार लोग इस दुनिया में बाकी है.


 


आस मोहम्मद भी पेश कर चुके हैं ईमानदारी की मिसाल 
बीते साल यूपी के गाजियबाद के रहने वाले एक ई रिक्शा चालक आस मोहम्मद ने ऐसी ही ने ईमानदारी की एक मिसाल पेश की थी. उन्होंने 25 लाख रुपयों से भरा हुआ बैग पुलिस को सौंप दिया था. दरअसल ई रिक्शा चालक आस मोहम्मद  जब रोड से निकल रहे थे तभी उन्हें एक बैग दिखाई दिया. बैक को खोलने पर उन्हें बैग के अंदर काफी सारे रुपए दिखाई दिए, जिसके बाद उन्हें कुछ समझ नहीं आया और रुपयों से भरा बैग मोदीनगर थाने में जमा करा दिया. ईमानदारी की मुजाहिरा करने के लिए आस मोहम्मद को डीसीपी ग्रामीण कार्यालय में सम्मानित किया गया था.