Opposition on Hindenburg Research: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट में सेबी चीफ माधवी बुच और अडानी ग्रुप को लेकर चौंकाने वाला दावा किया गया है. इससे पूरे देश में हंगामा मच गया है. विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस ने इस मामले को लेकर नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार की आलोचना की है. 


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जेपीसी गठन की मांग
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "सेबी की अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से संस्था की शुचिता के साथ ‘‘गंभीर समझौता’’ हुआ है और पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की." कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे को लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि अब यह ‘‘पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि पीएम मोदी जेपीसी की जांच से इतने डरे हुए क्यों हैं.’’ 


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सुप्रीम कोर्ट ले संज्ञान
कांग्रेस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ‘‘पूरे घोटाले’’ का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और अपने अधीन जांच करानी चाहिए, क्योंकि यहां जांच एजेंसी सेबी पर ही इसमें शामिल होने का इल्जाम है. कांग्रेस ने यह भी कहा कि ऐसे ‘‘गंभीर आरोपों’’ की पृष्ठभूमि में बुच अपने पद पर नहीं रह सकती हैं.


अखिलेश यादव ने क्या कहा?
वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को सेबी की जांच की मांग की. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, ‘‘सेबी की ऐतिहासिक जांच होनी चाहिए, क्योंकि सेबी का इतिहास ही ऐसा रहा है कि वह कभी सही मायनों में निवेशकों का सरंक्षक व सहारा नहीं बना.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के बाजार में निवेश के प्रति सुरक्षा की भावना जगाने के लिए सेबी की प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना केवल एक निष्पक्ष जांच ही कर सकती है. सेबी मामले की गहन-जांच भारत की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है.’’


संजय सिंह ने क्या कहा?
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, "हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अडानी ने मोदी सरकार के साथ मिलकर 8 लाख 50 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार किया है. मैंने प्रधानमंत्री जी के सामने नारा लगाया था- मोदी अडानी भाई भाई, देश बेचके खाई मलाई." उन्होंने कहा, "हिंडनबर्ग रिपोर्ट कह रही है कि दुनिया भर के भ्रष्ट लोगों को एक साथ लाकर अडानी ने मॉरीशस में फर्जी कंपनियां बनाईं और कस्टम ड्यूटी वसूली और नासिर अली के जरिए हजारों करोड़ रुपए की ठगी की. 


क्या है पूरा मामला
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विनोद अडानी और उनके करीबी सहयोगी और सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच दोनों ने कुछ विदेशी फंडों में निवेश किया था. इसके साथ ही हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के बारे में कहा गया है कि उसने कंपनियों का जाल बुना और फंड को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया. इसके बाद से ही देश में बवाल मच गया है. चारों तरफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की बात हो रही है.