शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल जैसे तमाम दिग्गज नामों को दरकिनार करते हुए बीजेपी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए एक बेहद ही हैरान करने वाला फैसला लिया है. एक ऐसा नाम मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी द्वारा चुना गया, जो न ही मुख्यमंत्री की रेस में शामिल था और न ही जनता को उनके आने की ज़रा भी भनक थी. इतने दिन के इंतज़ार और सस्पेंसे के बाद भाजपा ने डॉ. मोहन यादव को मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री पद का हकदार घोषित कर दिया है. इसे में एक बेहद अहम सवाल ये खड़ा होता है कि भारतीय जनता पार्टी की इस फैसले के पीछे क्या सोच है? इतने बड़े नामों के बीच आखिर मोहन यादव का नाम ही क्यूँ चुना गया ? 


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क्या है बीजेपी का लक्ष्य ? 
हालिया विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित मध्य प्रदेश बड़ी जीत हासिल की थी. मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 230 सीटों में से 163 पर जीत हासिल की और यह चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेत्रित्व में लड़ा गया था. बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद शिवराज को ही मुख्यमंत्री पद का  सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था. इतना ही नही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, और  कैलाश विजयवर्गीय को भी बीजेपी ने मैदान में उतारा था, जिसके कारण इन्हे भी मुख्यमंत्री की दौड़ में प्रतियोगी समझा जा रहा था. आपको यह बात जानकार बेहद हैरानी होगी की सोमवार को भोपाल में हुई बीजेपी विधायकों की बैठक के दौरान तक मोहन यादव का नाम चर्चा में नहीं था.
इसे में मध्य प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष का कहना है की पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही मोहन यादव का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढाया था. इस प्रस्ताव का समर्थन नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल समेत सभी वरिष्ठ नेताओं ने किया.


मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद देने के पीछे बड़े राजनीतिक सलाहकारों और जानकारों का मानना है कि भाजपा ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर कई हित साधने की कोशिश की है. उनके मुताबिक बिहार में जातिगत सर्वे के नतीजे सामने आने के बाद से विपक्षी दलों का "इंडिया" गठबंधन  और कांग्रेस पार्टी का अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जातियों की हिस्सेदारी को मुद्दा बनाकर बार-बार बीजेपी पर निशाना साध रहा है. इसमें शिवराज सिंह चौहान और उनकी जगह लेने वाले मोहन यादव दोनों ओबीसी हैं, और यह कदम उठा कर बीजेपी ने बिहार और उत्तर प्रदेश में भी ओबीसी समुदाय पर ध्यान केंद्रित किया है. उन्हें अपनी तरफ लेने की कोशिश की है. यहाँ तक की सलाहकारों का यह भी कहना है कि शिवराज सिंह चौहान के निरंतर मुख्यमंत्री बनने से उत्पन्न एंटी-इन्क्बैंसी को देखते हुए, बीजेपी ने नए चेहरे को लाकर उसे थामने की कोशिश की है.
 


क्या थी इस फैसले पर मोहन यादव की प्रतिक्रिया?
मध्य प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सीएम के चयन पर कहा, " भाजपा ही ऐसी पारंपरिक रूप से एक छोटे से कार्यकर्ता को इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने में सक्षम है. मैं इस नए दायित्व के लिए कृतज्ञ हूं और हम निश्चित रूप से इस विकास के कारवां को आगे बढ़ाएंगे." साथ ही, मोहन यादव ने राजभवन में राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा किया. इतना ही नही आपको यह भी बता दें की विधायक दल की बैठक के समय मोहन यादव काफी पीछे बैठे थे और जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई, वे खुद बेहद दंग रह गए थे.