हलाल और झटका में क्या है अंतर, मुसलमान हलाल मीट ही क्यों खाते हैं?
Difference Between Halal and Jhatka: कुछ इस्लामिक गुरू के मुताबिक किसी भी जानवर के खून में बीमारी रहती है. इसलिए जानवर को हलाल करते वक्त उसका खून बहाना जरूरी है.
Difference Between Halal and Jhatka: कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद 'हलाल मीट' पर विवाद शुरू हो गया है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने 'हलाल गोश्त' को आर्थिक जिहाद बताया है. उन्होंने कहा कि अगर मुस्लम गैर हलाल मीट खाने को तैयार हैं तो ये (हिंदू) हलाल मीट खाने को तैयार.
इस मामले के बाद लोगों में इस बात को लेकर दिलचस्पी है कि आखिर हलाल गोश्त और झटका गोश्त क्या है.
क्या है हलाल गोश्त?
हलाल अरबी का शब्द है. इस्लामिक मान्यता के मुताबिक कुर्आन और हदीस में जो चीजें बताई गईं वह हलाल हैं. इन्हें मुसलमान खा सकता है. इस्लाम में हलाल मीट ही खाने की इजाजत है. जानवर को खास तरह से मारने को एक हलाल प्रक्रिया कहा जाता है. इसके तहत जानवर के गर्दन की नस और सांस लेने वाली नली काटी जाती है. इस दौरान कुरान की कुछ आयतें भी पढ़ी जाती हैं. इस तरह से जानवर को मारने से उसके जिस्म का सारा खून निकल जाता है. इसे जिब्ह करना भी कहा जाता है.
झटका क्या होता है?
किसी भी जानवर की गर्दन को धारदार हथियार से एक बार में ही काट देने को झटका कहा जाता है. माना जाता है कि इसमें जानवर को ज्यादा दर्द नहीं होता क्योंकि इसमें एक ही झटके में जानवर मर जाता है. हालांकि जानवरों को हलाल करने वालों का भी मानना है कि हलाल प्रक्रिया में भी जानवर को तकलीफ नहीं होती है.
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क्यों खाया जाता है हलाल?
कुछ इस्लामिक गुरू के मुताबिक किसी भी जानवर के खून में बीमारी रहती है. इसलिए जानवर को हलाल करते वक्त उसका खून बहाना जरूरी है. यूं तो झटके से जानवर को मारने से खून बहता है लेकिन हलाल करने से जानवर के जिस्म से पूरी तरह से खून निकल जाता है. जानवर का खून बहने से उसके गोश्त से बीमारी खत्म हो जाती हैं. मुसलमान हलाल गोश्त के अलावा किसी और तरह का गोश्त खाना पसंद नहीं करते हैं.
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