यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ मायनॉरिटी अफेयर्स की स्कॉलरशिप स्कीम में धोकादही का मामला सामने आया है. इस ताल्लुक से CBI ने केस दर्ज किया है. माइनॉरिटी स्कॉलरशिप स्कीम के तहत सैकड़ों फर्जी इंस्टीट्यूटों को 144 करोड़ रुपये दिए गए. यह स्कॉलरशिप स्कीम साल 2017 से 2022 के दरमियान चली. इसी दौरान धोकादही हुई. CBI ने इस मामले में बैंक, इंस्टिट्यूट और दूसरे लोगों के खिलाफ धोकादही और जालसाजी का मामला दर्ज किया है. 


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मिनिस्ट्री ने कराई जांच


मिनिस्ट्री ऑफ मायनॉरिटी अफेयर्स में जैसे ही फर्जीवाड़े की खबर सामने आई वैसे ही मिनिस्ट्री ने इसकी जांच कराई. इस जांच में पता चला कि स्कॉलरशिप स्कीम में फर्जीवाड़ा हुआ है. 10 जुलाई को इसकी शिकायत की गई. इसके बाद CBI ने इस मामले में नामालूम लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया और जांच शुरू कर दी.


830 इंस्टीट्यूट फर्जी 


एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ मायनॉरिटी अफेयर ने धोकादही पर एक बयान जारी किया. मिनिस्ट्र के मुताबिक फंड में फर्जीवाड़े की खबर सामने आई थी. इसके बाद मिनिस्ट्री ने नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइज इकॉनोमिक रिसर्च के साथ मिलकर इस पूरे मामले और स्कीम की जांच कराई. इसमें सामने आया कि 1572 इंस्टीट्यूट को स्कॉलरशिप देने के लिए मुंतखब कि गया था. इसमें 830 इंस्टीट्यूट फर्जी पाए गए.


144 करोड़ रुपयों का हुआ घोटाला


रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जि 830 फर्जी इंस्टीट्यूट को पैसे दिए गए वह असम, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हैं. इसमें सबसे ज्यादा असम (225)  में हैं. बताया जाता है कि सबसे ज्यादा गड़बड़ी स्कूल और इंस्टीट्यूट लेवल पर हुई है. बंगाल से सबसे ज्यादा फर्जी एप्लीकेशन आए. जांच में पाया गया कि कम से कम 144.33 करोड़ रुपयों का घोटाला हुआ है. 


इन लोगों को मिल रहा था फायदा


दरअसल मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर की तरफ से स्कीम चलाई गई, जिसके तहत माइनॉरिटीज को स्कॉलरशिप दी जाती है. इसके तहत मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और पारसी बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाती है. देश के करीब 1.80 लाख इंस्टीट्यूट को ये स्कॉलरशिप का पैसा दिया जा रहा था. इसके तहत 65 लाख बच्चों को फायदा मिल रहा था.