Uttarakhand UCC Bill in hindi: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार मंगलवार को राज्य की विधान सभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक (यूसीसी) पेश करने के लिए तैयार है. यह बिल सोमवार से शुरू हुए चार दिवसीय विशेष विधानसभा सेशन के दौरान पेश किया जा रहा है. इससे पहले रविवार को उत्तराखंड कैबिनेट ने इसका फाइनल ड्राफ्ट फाइनल किया था. एक बार बिल असेंबली से पास होता है तो यह फाइनल दस्तखत के लिए गवर्नर के पास जाएगा. जहां से मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा. बता दें यूसीसी लागू करना बीजेपी के 2022 के मेनिफेस्टो में शामिल था.


यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है? (What is the Uniform Civil Code?)


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यूनिफॉर्म सिविल कोड की अवधारणा कानूनों के एक ग्रुप के तौर पर की गई है जो धर्म की परवाह किए बिना सभी नागरिकों के लिए शादी, तलाक, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार समेत व्यक्तिगत मामलों को कंट्रोल करता है. यूसीसी का मकसद मौजूदा व्यक्तिगत कानूनों को बदलना है जो धार्म के आधार पर अलग-अलग है. मिसाल के तौर पर इस्लाम में कई शादी करने का नियम.


उत्तराखंड असेंबली में पेश किया गया यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है? (Uttarakhand UCC Bill)


उत्तराखंड सरकार ने 2022 में यूसीसी के लिए एक मसौदा तैयार करने के लिए रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में एक पैनल का गठन किया था. पैनल में रिटायर्ड न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की चांसलर सुरेखा डंगवाल शामिल थीं. इन सभी ने मिलकर 740 से ज्यादा पेज का एक मसौदा रिपोर्ट तैयार किया है और इसमें चार हिस्से हैं.


रिपोर्ट तैयार करने के लिए, पैनल ने लिखित और ऑनलाइन लाखों फीडबैक इकट्ठे किए, कई पब्लिक मंच और 43 सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए और 60,000 से ज्यादा लोगों के साथ बातचीत की गई. सीएम धामी के मुताबिक, यूसीसी बिल पब्लिक कम्यूनिकेशन, सोच-विचार और सुझावों का नतीजा है.


इस बिल में क्या है?


कथित तौर पर, यूसीसी उत्तराखंड 2024 विधेयक में बहुविवाह (कई शादियां करना) और बाल विवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध जैसी सिफारिशें शामिल हैं. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बिल में बेटों और बेटियों के लिए समान संपत्ति का अधिकार, वैध और नाजायज बच्चों के बीच अंतर को खत्म करना, मरने के बाद समान जायदाद का अधिकार और गोद लिए गए और बायोलोजिकल बच्चों को समान अधिकार मिलना शामिल है.