नई दिल्लीः मरकजी कुकूमत के मंत्रिमंडल में विस्तार से ठीक पहले बुध को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन और प्रकाश जावड़ेकर सहित पार्ठी 12 सीनियर मंत्रियों की विदाई के बाद अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि ये नेता किस काम में लगाए जाएंगे? पार्टी इनसे क्या कराएगी? इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. बिहार से सुशील कुमार मोदी को लेकर भी कयास लगाए जा रहे थे कि कें्रद में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में इन नेताओं को लेकर सवाल पैदा होना लाजिमी है कि आखिर पार्टी में अब इनकी भूमिका क्या होगी? 


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इन मंत्रियों ने दिया है इस्तीफा 
रवि शंकर प्रसाद, हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर, थावरचंद गहलोत, संतोष गंगवार, रमेश पोखरियाल निशंक, सदानंद गौड़ा, बाबुल सुप्रियो, देबश्री चैधरी, संजय धोत्रे, रतनलाल कटारिया और प्रतापचंद सारंगी को मंत्रिपरिषद से हटाया गया है. गहलोत को तो कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया है, लेकिन उनके इस्तीफे से राज्यसभा में नेता सदन का पद भी खाली हो गया है. वह पार्टी की सर्वाच्च नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड में लंबे अरसे तक दलित प्रतिनिधि के रूप में भी रहे हैं.


संगठन से मंत्री बनाए गए हैं कुछ नेता 
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुध को हुए फेरबदल व विस्तार में जिन लोगों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है, उनमें से कई पार्टी महासचिव, पर्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय प्रवक्ता, प्रदेश अध्यक्ष जैसे ओहदों पर पार्ठी और संगठन के लिए काम कर रहे थे. भाजपा में ‘‘एक व्यक्ति, एक पद’’ का सिद्धांत लागू है, इसलिए माना जा रहा है कि सरकार में शामिल किए गए नेताओं की जगह संगठन में नए लोगों को जिम्मेदारी दी जा सकती है. इनमें मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने वाले मंत्री हो सकते हैं.  

पार्टी संगठन में खाली है कई पद 
पार्टी संविधान के मुताबिक संसदीय बोर्ड में अध्यक्ष के अतिरिक्त 10 सदस्य होते हैं. पार्टी महासचिवों में से एक इस संसदीय बोर्ड का सचिव होता है. लेकिन वर्तमान संसदीय बोर्ड में सात ही सदस्य हैं. इनमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और संगठन महामंत्री बी एल संतोष शामिल हैं. संसदीय बोर्ड में भी तीन पद फिलहाल रिक्त हैं.

सीनियर लीडर्स को यहां मिल सकती है जगह 
वर्तमान में भाजपा संगठन में भूपेंद्र यादव सहित आठ महासचिव, अन्नपूर्णा देवी सहित 12 उपाध्यक्ष और टुडु सहित 13 सचिव हैं. जनवरी 2020 में भाजपा का अध्यक्ष बनने के बाद नड्डा ने लगभग आठ महीने के बाद अपनी टीम बनाई थी.अभी तक पार्टी संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाल रहे नेताओं को सरकार में शामिल किए जाने के बाद अब कयास लगाए जाने लगे है कि पार्टी संगठन में नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है. हालांकि इस बारे में पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बस इतना ही कहा कि ‘‘संगठन के बारे में नियुक्ति संबंधी कोई भी फैसला लेने का अधिकार अध्यक्ष का है. 

इन राज्यों में बनाए जा सकते हैं चुनाव प्रभारी 
अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं और संभावना जताई जा रही है कि इसको मद्देनजर रखते हुए प्रसाद, जावड़ेकर, निशंक और हर्षवर्धन सहित कुछ नेताओं को संगठन में शामिल कर चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है. प्रसाद और जावड़ेकर पहले भी भाजपा संगठन में अहम भूमिका निभा चुके हैं. निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे हैं जबकि हर्षवर्धन दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं.


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